तुनिला पुकार
बाबा
इक दुखियारी के धर्शन देदा बाबा
तुनिला पुकार बाबा इक दुखियारी के धर्शन देदा बाबा
अपने पुजारी के धर्शन देदा बाबा
हाथ जोरी बैया परी करीत और बिनीतिया
कब हून ठूते बाबा तहसे पिरीतिया
भाली नचाए पुपापा तहरी दुवारी से धर्शन देदा बाबा
अपने पुजारी के धर्शन देदा बाबा
बाजन के पूत्त दिहना पोधियन के काया
द्यान नहीं पाए बाबा तरीके हुमाया
वाम अंग में विहारी गिर्दस उत्वारी के धर्शन देदा बाबा
अपने पुजारी के धर्शन देदा बाबा
चितना वखान करी कहेलो न जाना
कथे बोले नाथ तोरे मन वाविसाना
भंगीया धतूर चण हे भोले त्रीकुरारी के धर्शन देदा बाबा
अपने पुजारी के धर्शन देदा बाबा
एकी नेट्र बाबा निल कंठ धारी तीन लोग धाम भैले तहरी दुआरी
आरती करी ली बाबा श्याम तोर पुजारी के धर्शन देदा बाबा
फुनील फुकार बाबा एक दुखियारी के धर्शन देदा बाबा
अपने पुजारी के धर्शन देदा बाबा
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