सुनली जो बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी
मैं शरण गही प्रभु तेरी
मैं शरण गही प्रभु तेरी
तुम तो प्रभु तेरी
तुपतित अनेक उधारे भवसागर सेतारे
मैं सबका तो नाम न जानो कोई कोई नाम उचारे
अम्बरेश सुदामा नामा तुम पहुचाए निजधामा
रुब जो पाँच पर्ष के बालक तुम दारस दे घनसामा
सुनले जो
बिनती मोरी मैं शरण गही प्रभु तेरी
धना भक्त का खेत जमाया कबिरा का पैल चराया
सगरी का जुठा फल खाया तुम काज की मन भाया
सदनारिम सिनानाई को
तुम दिना अपनाई कर्मा की खिचडी खाई
तुम गण का पार लगाई
मेरा प्रभु तुमरे रंग राती
या जानत सब दुनियाई
सुनली जो बिनती मोरी
मैं शरण गही प्रभु तेरी
मैं शरण गही प्रभु तेरी
मैं
मैं शरण गही प्रभु तेरी
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
बोलो शाम धर्णेशाम
ओरोशाम् रैनेशाम्
ओरोशाम् रैनेशाम्