सुक्मनी सुखाम्रक्रवनाम अगजनाके मर्घिष्राम अट्छे सलोक अगाम अगाद पार ब्रह्म सोए जो जो कहे समुकता होए सुनमीता नानक बिनमंता साध जनाती अचर्ज कथा
साध के संग मिठे अभिमान साध के संग भुजे प्रवनेरा साध के संग पाई नाम रतन साध के संग एक उपर जतन साध की मैमा बरने कौन पराणी साध के संग अगुचर मिले
साध के संग आवे बस पंचा साध संग हम्रत रस पंचा
साध के संग हो वे सिपीरेन साध के संग मनोहरवैन साध के संग ना कतमुतावाए साध संग अस्थित मन पावाए
साध के संग माया ते पिन साध संग नानकरब सोक्रसन साध संग दिश्म सामीत साधू के संग मह पृनीत साध संग किस ओंनी बैर साध के संग न भीगा पैर साध के தंगना ही कोमन्दा आ अन साध जाने पर्मानंदा साध के तं
साध संग भस्त अगुच्र्ल है साध के संग अजरस है साध के संग बसेथानुचे साधु के संग खल पुंचे साध के संग दिरेशव तरम साध के संग के वल पारulator.
साध के संग पाइ नाम निधाने नाँच साधु के कुर्वान। साध के संग सब खल ओदारे,
साधु के संग सौतनपावे, जिस तं ते सबको बरशावे साधु के संग तरम्रई करे सेवा,
साधु के संग सोभाशुर देवा, साधु के संग पाप पलायेन,
साध के संग सरव्थानगंवा, नाां साध के संग सकलजनम,
साध के संग नहीं कचकाल, दृशं पेटेट होत nerald,
साध के संग कलऊकत हरेट,
साध के संग इहां-उहाँ सुहे ला,
जो इछे सो इफ़ल पावे,
पारभ्रम साध्रितवसे,
साध के संग सोनो हरनाओं,
साध के संगना मनहं ते विसरेअ,
साध के संग लगे प्रमेथा,
साध के संग अट-कट लिथा,
साध संग पई हमारी,
नानक साध पे ते संजोग,
जिनदा सुने ते तब क्याने,
साध के उपमा ते घुन ते दूर,
साध के सोबा सदा वे अंत,
साध के सोबा मुझ ते मुझी,
नानक साध प्रबेदन पाई,
पगजना के मन विश्राम,
मान साध चा, मुख साध चा सोई,
अवरन पेखे एकस बिन कोई,
नानक एलच्छन ब्रह्म घ्यानी कोई,
साध नाम सिरिवाहि गुरु अश्टपधी,
ब्रह्म घ्यानी सदा निर्लेप,
जैसे जर में कमल हलेप,
जैसे सू सरप को सोख,
जैसे राजरां पो लागे तुलपवान,
जो बसगा पू खोते खोई चन्दलेप,
नानक जो पावका से भाव,
जैसे मैला लागे जला,
जैसे तारूपर आकाश,
ब्रामक्यानी के मित्तर सतर समान ।
ब्रामक्यानी उन्श ते उचा,
ब्रामक्यानी سے जान पए,
ब्ರामक्यानी सगल की रिना,
ब्रामक्यानी की साभू पर मया,
ब्रामक्यानि सदासमन दरसी,
ब्रामक्यानी बंदंते मुक्ता,
ब्रामक्यानी का पोजन ग्याना,
ब्रामक्यानी एक उपरास,
ब्रामक्यानी के गत्विसो महा,
ब्रामक्यानी के नाही तंदा,
ब्रामक्याणि के होय सोपला,
ब्रामक्याणी सग उदार,
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्राजवार।
ब्रामज्ञाआनि का सगल अकार
ब्रामज्ञाआनि की सोपका, ब्रामज्ञाइन ही बनी
सुक्हमनी सुक्ह अम्रत प्रमनां
अठ अथ सोलोग
ऊर्दारें जो अन्तर नाम
सर्वं मेथे के पिखे पगमान
निमक निमक था तुर नमस्कारे, नाने के वापस सगल निश्टारे
साथ नाम सिर्वाहे गुरु अश्टपदी, मिथ्या नाही रस्णा परस
बन्मे पीद रंजदर्स
पारफे रूप ना पिखे नेत्र
साधी टेल संग संगेत
करन न सुने काहुं की निन्दा
साथ ते जाने आपस को मंदा
गुर परसाद विख्या पर हरे
मन की बासना मन ते तरे
इंद्री जित पंच दोख ते रहत
नाने कोड मदे को ऐसा अपरस
बैस नो सोजी सुपरसो परसान
किसन की माया ते होई पिन
करम करतो वेने करम
काहुं फाल की इच्छा नहीं बचे
देवर पगतीरतन संगराचे
मानतन अंतर सिम्रण गोपार
सारो भरो वत किरपार
आप दुरदे आवरे नाम जपावे
नाम को बैस नो परम गत पावे
वगोती पगुंत पगत का रंग
सगल याके दुष्ट का संग
आप दुरदे आवरे नाम जपावे
नाम को बैस नो परम गत पावे
वगोती पगुंत पगुंत का रंग
सगल याके दुष्ट का संग
मानते बिंसे सगला परम
कार पुझे सगल पार ब्रम
साध संग पापा मलगूवे
इस वगोती की मत उत्तम होवे
हर की चरन हिर believing
कईसा वगोती पगंत्त को पावे
सो पंडड जो मान परबुत करे
नामनाम् आतम में सोदे
नामनाम् सार रस पीवे
सुपंडड केंısı बआति जगचीवो
हर की कता हिर देव बजतावे
नामनाम् आतम में सोदे
नामनाम् सार रस पीवे
सुपंडड केंस बाति जगचीवो
हर की कता हिर देव बजतावे
सो पंडड फिर जो नावे
बिर प्रान सिम्रत गुझे मोन
सुपंडड में जाने अस्तूल
चोवर नाको दे उपदेश
चोवर नाको दे उपदेश
नानक उस पंडड को सदा देश
बीज मंतर सरव को ग्यान
चोवर नामें जपे को नाम
जो जो जपे तिसकी कत होई
सासंग पावे जन कोई
हर केर पांतर रोलगारे
पसू प्रेद मुगत पातर को तारे
सरव रोका आखद नाम
भातं राम तिस नगरी आया
सदा निकट निकट हर जान
अपने दास को आप किर्पा करे
सगल संग आतम उदास
तकी आज्या आतम हितावे
तैसा हरक तैसा उसोग
तैसा सवंग तैसे उसमाठे
तैसा अमरत तैसे विक्खाटी
तैसा रंग तैसा राजान
नान को पुर्ख कहे जीवन मुक्त
जित रिखता राखे तैसा तिन्नाओ
अपने कर्ण करामन जोग
पस्र आपवे अनत रंग
जैसे मत दे तैसा परगासो
शिमर शिमर नान को पहे नहाल
पहजना के मन बिश्राम
उसतत करे अनेक जन
अनत नपार आवार
नान करचन प्रवरची
वो विध्यानिक परकार
सात नाम से रिवाहे गुरु अश्टपधी
कई कोट होए पुजारी
कई कोट पै थीरतवัसी
कई कोट बेद के स्रोते
काई कोट आथम् ते आन्तारे
कई कोट नाव्तान नां ते आवे
कई कोट पैए बिमानि
कै कोट किर्पन खतूर
कई कोट पर दरब को हिरे
कई कोट माया शरम माए
जित जित लावो ते तेत लगना
कई कोट सिज़ती जोगी
कई कोट पंकी सर पे उपाए
कई कोट पावन पानी बैस अंतर
कई कोट सशीर सोर न खत तर
कई कोट देव दानखिंदर सिर चतर
नानक जित जिस पावे तिस तिस निस्तारे
कई कोट राजस्थाम सातक
कई कोट किये रतन समुंद
कई कोट किये चिरजीवे
कई कोट जखिनर पिसाच
कई कोट पूत प्रेच सुकर विर्गारच
नानक खापले पत्रया परकूर
कई कोट पताल के वासी
कई कोट जनमे जीवे मरे
कई कोट बैठती खाए
कई कोट किये तनमंत
जै जै पाणा तै तै राखे
कई कोट वै बैरागी
कई कोट तव को खोजनते
कई कोट दर्शन प्रप्यास
कई कोट मांगे सथसंग
जिनको होए आप सो परसान
कई कोट थानी अर्थंड
कई कोट होए अवतार
कही जूद किनो बिस्थार
सदा सदा इके कंकार
अब ते होए प्रमाय समात
आपे आप नाने प्रवसोई
सिर्भोगतातं परगास
सदा निहारे एको नित्र
अमर पैसा सद्धी जीवे
आदम रसुक से समावे
अपने जन को सासा समारे
सुख मनी सुख अमरत प्रवनाम
अठ दस लोक
करन कारण प्रव एक है
दूसर नाही कोई
नानक तिस बल हारने
जल तल मैयल सोई
साथ नाम सिरिवाहे गुरू अश्टपदी
करन करामन करने जोग
किन मैं थाप थाप पणहारा
उक मैं तार अदर रहावे
उक मैं उच नीच ब्योहार
करकर देखे अपनी वढ़ियाई
नानक सब में रियां समाई
प्रभावे मानों गत पावे
प्रभावे बिन सास्ते रखे
प्रभावे ता पती तो दारे
दोहा सिरिया का आप स्वामी
जो पावे सो कार करावे
पह मानुक ते क्या होई आवे
इसके हाथ होई ता सब किछले
आन जानत बिख्या मैं रचे
पर मैं पूला दे दिस्तावे
कार किरपा जिस आपनी पवद दे
इन मैं नीच कीट को राज
जाका द्रिश्ट कच्छो ना आवे
जाको अपनी करे बखसीस
जियो पिंड सव तिसकी रास
अपनी बनता बनाई
इसका बाल नहीं सात
अग्या कारीब पुराजियो
कभू उच नीच मैं बसे
कभू निंद चिंद विवहार
कभू बेता ब्रह्म विचार
कभू निर्थ करे बौपात
कभू सोए रहे दिन रात
कभू महा क्रूद दिक्राल
कभू होई बेबड राजा
कभू आपकी रत मैं आवे
जो प्रब्राखे तिम ही रहे
कभू होई पंड़त करे बखान
कभू तारी लावे त्यान
कभू तारते रति सनान
कभू की थस्त पतांग होई जिया
नाना रूप जो स्वांगी दिखावे
जोतिस पावे सोई होई
कभू साथ संगते पावे
अंतर होई ज्यान परगास
मानता नाम रते एक रंग
मानता नाम रते एक रंग
जो जल में जलाए खटाना
मिट गए गवन पाए बिशराम
सुख मनी सुख अमरत प्रावणाम
अठ ग्यारा सलोक
सुखी बसे मसकी निया
आप निवार तले
बडे बडे अंकारिया
सुख गर्ब गले
सत नाम सिरिवाई गुरु अश्टपधी
जिसके अंतराज बिमान
जो जाने मैं जो भनमंत
आपको करमंत कहावे
तान पूम का जो करे गुमान
कार किर्पा जिसके हिर्दे ग्रीब बिवसावे
किन समान कर संग रजावे
बहुत लशकर मानु कुपर करे आश
सत आप जाने बलवंत
किसे ना बदे आप अंकारी
गुर्पर साथ जाका मिटे बिमान
ओट करम करे हो तारे
अनिकित पस्या करे अहंकार
अनिक जतन का रातम नीद रवे
आपस को जो पला कहावे
सरब की रेंजा का मन होई
जब लग जाने मुझते कच होई
जब ये जाने मैं किछ करता
जब तारे को बेहरी मीथ
जब लग मौ मंगन संग माई
जब किरपाते बंदन तूटे
सहस खटेला को उठतावे
अनिक पोग भिख्या के करे
बिना संतोख नहीं को राजे
नाम रांग सरब सुखोई
कान खरावने आपे आप
सदा सदा नान कर जाप
कान खरावन करने हार
जैसे द्रिश्ट करे तैसा होई
जो किछ कीनों सो अपने रंग
दुझे देखे करे विवेक
मरे ना बिन से आवे न जाए
आप उपदेसे समझे आप
आपे रच्या सब के साथ
आप कीनों आपन विश्थार
उसते पिन कहो किछ होई
अपनी चलिता करने हार
मान में आपमान अपने माहे
साथ साथ साथ प्रवस्वामी
साथ साथ साथ सब की नाम
ये जो साध केने वखाला
साथ साथ साथ सब कीना
पला पला तेर रूप
मिरमलम् इं मल उपनी
பवित्तर पवित्तर तुनीत
कहियक मन पृत
अग्जन ये मन 위해서
पवित्तर पवित्तर तुनीत