बेशक यार
तरीह चाहूँ
माह मुभबत में आया फातल
जैसा मुझो प्यार सोर उसी विवा कातल
जैसा मुझो प्यार
सोर उसी विवा कातल
चवे अलि गोहर बराबर आया मुझल औके इन इश्क में
सोनों दिसे तो नाजसां
अज अलाई चाच चिंदो
सोनों दिसे तो नाजसां
सोनों दिसे तो नाजसां
अज अलाई चाच चिंदो सोनों दिसे तो नाजसां
साम्यन अलि गोहर सोलंगी जे कलामला
परमाशा शयर काजिम खाँ
असाजो प्यारो भाव
जी मुझल चंटर वारो
जिना अनुवरली चाच जो
और गोठाजी खैरमद खाँ
हाजी कुर्बान ले खास केली
और कादेमद खाँ हाजी मेव कुंगर सजन महर
गुलाम बालाबी और गुलाम कादर बालाबी
सत्मा जुदाय जामिला ओमाच लती मुखे अते
दाल धक्यल राजसां अज अलाई छाच दो मुर्की दिसे तो नाजसां
दिलरी मुझी वै आपरोजी ओम बजी मुलाकातमे
इश्क जे आजाजसां अज अलाई छाच दो मुर्की दिसे तो नाजसां
अज अलाई छाच दो सुनो दिसे तो नाजसां
सुनो दिसे तो नाजसां अज अलाई छाच दो सुनो दिसे तो नाजसां
साम्यन फर्माशा साइ कलामला
गोटकी गां लग मेरो वागां कायम दिन मंगी गुलाम नभी मंगी
अलारिनो मंगी खारूशा गां आसी उसें पक्षित नहीं हारून हाजर
अलि गोहर चा कया ओ जन तो सुनो गुरे
यारी रखी तम बादसां अज अलाई छाच दो सुनो दिसे तो नाजसां
नाजसां