शुरूची सुबासे शरसे अनुरागा
अमी मूरी मैं चूरान चारू शमन शकल भव रुजे परिवारू
मंगल मूरी
मूल अमंगल दमनु सिवक सदर श्वामि आगमु
एक घणी आधी घणी आधी में कुमियाद
तुलशी संगति शाधुकी
आधी में कुमियाद
बार बार वन्दना हजार बार वन्दना मेरे गुरु तेव को करोड बार वन्दना
बार बार वन्दना हरोड बार वन्दना मेरे छामा देव को बार बार वन्दना
बार बार वन्दना हजार बार वन्दना
बार बार वन्दना हजार बार वन्दना
बार बार वन्दन आजार बार वन्दनाः सत्रिकुरु कबीर को बार बार वन्दनाः
बार बार वन्दनाः बोलिये कुरु भगवान की जाने
प्रमदं़नी
पुज्जिपात् सद्गुर्देवची
सदाचार्षंपन्र् शंत्वरंद्