ĐĂNG NHẬP BẰNG MÃ QR Sử dụng ứng dụng NCT để quét mã QR Hướng dẫn quét mã
HOẶC Đăng nhập bằng mật khẩu
Vui lòng chọn “Xác nhận” trên ứng dụng NCT của bạn để hoàn thành việc đăng nhập
  • 1. Mở ứng dụng NCT
  • 2. Đăng nhập tài khoản NCT
  • 3. Chọn biểu tượng mã QR ở phía trên góc phải
  • 4. Tiến hành quét mã QR
Tiếp tục đăng nhập bằng mã QR
*Bạn đang ở web phiên bản desktop. Quay lại phiên bản dành cho mobilex

Srimad Bhagavad Gita Barhvan Adhyay Bhakti Yog

-

Kailash Pandit

Tự động chuyển bài
Vui lòng đăng nhập trước khi thêm vào playlist!
Thêm bài hát vào playlist thành công

Thêm bài hát này vào danh sách Playlist

Bài hát srimad bhagavad gita barhvan adhyay bhakti yog do ca sĩ Kailash Pandit thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat srimad bhagavad gita barhvan adhyay bhakti yog - Kailash Pandit ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Srimad Bhagavad Gita Barhvan Adhyay Bhakti Yog chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
Ca khúc Srimad Bhagavad Gita Barhvan Adhyay Bhakti Yog do ca sĩ Kailash Pandit thể hiện, thuộc thể loại Thể Loại Khác. Các bạn có thể nghe, download (tải nhạc) bài hát srimad bhagavad gita barhvan adhyay bhakti yog mp3, playlist/album, MV/Video srimad bhagavad gita barhvan adhyay bhakti yog miễn phí tại NhacCuaTui.com.

Lời bài hát: Srimad Bhagavad Gita Barhvan Adhyay Bhakti Yog

Nhạc sĩ: Traditional

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

वोलिये श्री किष्ण भगवान की जेव!
प्रीय भक्तों,
श्रीमत भगवत कीता का बारवे अध्याय आरम्ब करने जा रहे हैं
और इसकी कथा है
भक्ती योग
नाम से इसपश्ठ है भक्तों
कि इस कथा को सुनने में बड़ा आनन्द आने वाला है
भक्ती का रस्ट तपकने वाला है
जितना चाहें उतना आप ले लीजिये
तो आईए आरम्ब करतें इस कथा को
पुछा जो भक्त सदेव योग युक्त हो आपके साकार रूप का भजन पूजन और
आराधना उपासना विधी पूर्वक करते हैं और वे पुरुष जो निराकार ब्रह्म
के रूप में आपका चिंतन और भजन करते हैं इन दोनों में कौन शेष्ट है
श्रीभगवान बोल
वे उत्तम योगी हैं निराकार के उपासक जो इंद्रियों को संयमित करके और
सर्वत्र सम्द्रश्टी रखकर मुझ में लगे हुए अकतनीय अव्यक्त सर्वव्यापी
अचिंतनीय निर्विकार ब्रह्म का चिंतन वे
भजन करते हैं वे मुझे प्राप्त होते हैं
एपार्थ जो प्राणी अपने सब कारियों को
मुझे आरपन करके मेरी शरण में आ जाते हैं
मैं उन शरण में आये हुए भक्तों का थोड़े
काल में संसार सागर से उध्धार कर देता हूँ
इसलिए तुम मुझे में ही मन और बुद्धी रखो
तब तुम मुझे में निवास करोगे
इसमें कुछ संदेए नहीं है
यदःननज्य जदि प्रारंब में तुम इसपरकार मुझे अपने चित को लगाने में समर्थ
नहीं हो सको तो योगा भ्यास द्वारा मुझे पाने के लिए बारंबार यतन करो
यदि अभ्यास भी नहीं कर सको तो मेरे उध्धेश से वृत करो
मेरी लिए तुम ��
अपना कर्म करूँ।
हे अर्जुन,
अभ्यास से घ्यान,
घ्यान से ध्यान और ध्यान से भी कर्मों के फल का त्याग श्रिष्ट है।
त्याग से तुरंद शान्ती प्राप्त होती है,
जो किसी से द्वेश्ट नहीं करता,
सबका मित्र है,
दयावान है,
मम्ता और एहंकार जिसमें नहीं है।
जो ख्षमावान और संतोषी है,
इस्तिर्चित है,
इंद्रियों को वश्मे रखता है,
द्रह विश्वासी है,
मुझ में अपना मन और बुद्धी लगाय हुए है,
जिससे किसी को भै नहीं है,
हर्ष,
ईर्शा,
भै और विशाज से जो रहीत है,
जो कुछ मिले,
उसी में संत�
है,
वह मुझे सर्वाधिक प्रिय है,
जो लाब से प्रसन्य और हानी से खिन्ण नहो,
किसी से द्वेश नहीं करे,
भली बुरी वस्तू पाने का हर्ष, शोक नहीं करे,
शुब और अशुब इन दोनों का समान भाव से त्यागी हो,
जिसे शत्रू, मित्र,
सुख, दुख,
मान
ता है,
वाचाल नहीं है,
जो यह नहीं समझता,
कि यह मीरा घर है,
वह मीरा प्यारा है,
मुझ में शद्धा रखते हुए,
मुझे मान कर इस अम्रित के समान कल्यान
कारी मेरे उपदेश के अनुसार करते हैं,
ऐसे निषकाम भाव से कर्म करने वाले भक्ष
मुझे सबसे �
प्रिये भक्तों,
इस प्रकार यहां पर श्रीमत भगवत घीता
का ये बार्मा अध्याय समाप्त होता है,
स्नेहें और शद्धा के साथ पो लेंगे,

Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...