अथे स्रीहजग्रीवसहस्रणामस्तोत्रम्।
शुक्लायां वरधरं विष्णं सशिवर्णं जतर्भुजं प्रसन्नवदनं ध्यानेत सर्वविघ्णापशान्तले
यस्यत् विरदवक्तरात्याफ् पारिषत्याफ् परष्यतं। विघ्णं लिख्णं दिसततं विष्वच्चेनं दमाश्रे्
ज्ञानानन्दमयं देवं निर्मलस्पटिकाक्रतिं, आधारं सर्वविज्ञानां हयक्रेवं उपास्महे
स्रीकाश्यप उवाचा, तातमे स्रिहयक्रीव नामनां साहस्रमुत्तमं, अध्येतुं जायते कांचा तत् प्रसीदमयिप् प्रभो,
इदि वृष्टस्त दोवाचप् रम्मलोकपितामहा, स्रेयजामविज़क्रेयः काश्यपेहविशाम्पते,
अमत्याविधं पापं मूलतोहि विनस्यति, रहस्यानां रहस्यं च पावणानां च पावणम्,
प्रायस्चित्ते गृते तस्यकर्तान निरईभवेद, कामदस्तु गृते पापे प्रायस्चित्त सते नचा,
तन्ननश्यति तत्कर्ता प्यमहारस्य जायते, एवं दुरपनोधानां बुद्धि पूर्वमहाम्हसाम्,
आवजणगराणानां वप्यंते निष्कुतिरीरिता, प्रनम्यमानसतया मंद्ररत्मानुकीर्तनं,
हम्सनामसहस्त्रस्यपटनं सिरसान्वहं, प्रनम्यभगवद्धक्तपादोधकनिशेवनं,
तदे तत्रितयं सर्वपापसंगातनाशनं, इतीदं बरमं दुख्यं हम्सोहयशिरोहरि,
वेदोपदेश समझेमाम्निभोध्योपधिष्टवान, अनेनमंद्ररत्मेनमहास्वशिरसोहरे,
सहस्रनामभिस्तुल्यानिष्कुधिर्नेतनाम्हसाम्, अनन्यभगवद्धक्तपादोधकनिशेवनं,
एदत्वयोपदेशांगमादोस्विकार्यमिष्यते, इत्युत्वानन्दघरुडविश्वक्सेनपदोधकं,
आदोभाम्राजयन्नंदेवरिशुष्येकुर्ताम्हसी, आत्मनोनामसाहस्रंसरशिच्छन्दोधिदैवतं,
सन्यासमुत्रिकाभेदं अख्यंसांगमुपाधिषत, यथावत्तदितंवच्छदध्यान्देशुनुदत्वताः,
एफ्राप्यात्यंदिकेवुरुध्यानिवुरुध्यामोक्षमेश्यति, खयास्यनामसाहस्रस्तोत्ररादस्यमईभवं,
रुशिष्रीमान्हलक्रेवोविध्यामोर्तिस्वजंभरिहि, देवताचसएवास्यचंदोनुष्टुभितिष्रुतं,
हमसोहमसोहमित्येते प्राक्जःभ्यामनवस्त्रजः, हमसीमहमसोहमित्येते वीजंशक्यिस्तुकिलकं,
एकैःकष्यनचावृत्यरितिसंख्यामिधीगते, प्रणवत्रयमंद्रम्स्यात्कवतं,
श्रिविभूषणायिक्येतत् गुदगंपरिकीर्तितं, परोरजाःपरंब्रम्हेत्यपियो निरुदाखृता,
विध्यामोर्तिरितिध्यानं विश्मात्येतिचकत्यते, विश्ममंगलानाम्नोस्यविनिजोगोयधासुची,
बुरुनेत्रश्रोत्रणासाहा, ओष्ठतालूदरेक्रमाद, शोणजस्वरविञ्यासाहा, दक्षिनारंभमिष्यते,
दिख्मातलेपिदन्मूलेस्वरावन्युचविञ्यसेत, ततातारत्वर्यन्यासनखायोस्तुपरित्यदेत,
आयंहिरित्यकामानामाद्यस्त्वन्यभलैशिनाम्, दोऽपत्सक्त्यः अंगुलीशिर्शेवर्गान्कजकतान्यसेत,
पास्वल्योस्तुपभोकृष्णोधरल्योस्तुपभोन्यसेत, मकारंभुदरेन्यस्यतीवेवापंचविंशके,
नाभिपायोधरेगुफ्ये यरलवान्विनिक्षिबेद, सशोगुन्दलयोषिर्शंहरे जकटिसूत्रके,
सहोहुदत्तेहार्तेजशमापातशिखेण्यसेद, ख्षंजशिर्शाविपादान्दमात्रोगान्यासएशतु,
अस्क्यश्रेहर्यक्रेवसहस्रणामस्तोत्रमहामंद्रस्या, स्रेहर्यक्रेवरुजिहे अनुष्टप्छंदहा, स्रेहर्यक्रेवप्परमात्माधेवता,
हंसाइतिभीदं, हंसोहमितिशक्तिहे, हंसामहंसीमितिकीलकं,
ओम्, ओम्, ओम्, इत्यस्त्रं, स्रीष्रियः इतिकवचं, स्रीतिभूषन इतिभुधरं,
परोडजापरंब्रंभेति नोनिः, विध्यामोर्त्यर्विश्वात्मा इतिध्यानं,
हम सांअंगुष्ठा भ्यान्नमः, हम सीम्दर्जनेप्भ्यान्नमः,
हम सोन्मध्यमा भ्यान्नमः, हम सोन्मनामिका भ्यान्नमः,
हम सौन्करिष्ठικά भ्याननमः, हम सह कलतल aquilas भ्यान्नमः,
ध्यानं विद्यामोर्तिमगंदचंद्रवलयस्वेतारविंदस्तितं,
खृद्याभंस्पदिकात्रिनिर्मलतनं विद्योतमानंस्रिया,
वामांकस्तितवल्लपंप्रतिसदाप्याक्यांतमाम्नायवा,
गर्थानादिमपूर्जंभयमुखंध्यायाविहंसात्मकं,
विष्वात्माविषदप्रभाप्रतिलसद्वाक्टेवतामंडलो,
देवोदक्षिणपानियुग्मविलसद्वोधांगचक्रायुधा,
वामोदक्रकरेदरंदतितरेनास्तिष्यदोष्णारमा,
हस्ताक्रेदर्दपुस्तगस्सदयदाम्हंसोहिरन्यचदहा,
व्याक्यामुत्रांकरसरसितेफ्पुस्तखंशंखजक्रे,
विप्रत्मिन्नस्पटिकरुजिरेपुंडरीकेरिशन्दहा,
अम्लानस्रीरमुदमिषदैरंसुभेव्नावयन्मा,
आविर्भुजाधनगमहिमावानसेवागधीचः,
हरी ओम्
ओम्श्रीम्हंसोहमैमोंक्रिम्ष्रिष्रिष्रिमिभूचणः,
परोरजापरंब्रम्हभूत्वुवस्सुवरादिमः,
भास्वान्भगष्टभगवान्स्वस्तिस्वानमस्वधा,
श्रौजट्भुजडलंहुम्भद, उम्रेंप्रोम्लोंयतातथा,
कर्कर्क्रेवक्कलानाधकामदकरुनाकरः,
कमलात्रुजिदोत्संगः, चरेकालीमशानुगः,
निजच्चोपरिजच्चाधनीचैरुच्चैस्वमंचः,
शश्रत्युगबधन्हा यशनैरेकोबहुत्दुभः,
भूतभ्रत्भूरिदस्पाक्षीभूताधिपुण्यकीर्तनः,
भूमाभूमिरधोन्नद्धबुरुहोतफ्पुरुष्टुतः,
प्रकुल्लपुण्दरीकाक्षः परमेष्ठीप्रभावनः,
प्रहुर्भयस्सदाम्बन्धो भयत्भंसीभवापनः,
उत्यन्नरुषयाहंक्रतु उरुकाज उरुक्रमः,
उतारस्त्रियुगस्त्रियात्मानिदानम्निलयोहरि,
हिरन्यगर्भोहेमान्गोहिरन्यश्षसुरीचिता,
हिरन्यकेशोहिमाहेमाभासाहितैशणः,
आदिक्यमंदलान्दस्तामोतमानस्समुहनः,
सर्वात्माजगदाधारस्सन्यधिस्सारवास्मभू,
गोपद्यकोहितोगोमीकेशमकिन्नरेष्वरः,
माई-मायाविगर्जिकुन्महेशानोमहामः,
मामारिमेमुम॓मुरुमुरूम्लुम्लूम्येवैंदधैवचा,
मोमॊं बिंदुर्विसग्यष्टक्रस्वोधेवःप्रुतस्वणा,
ुदातस्चाणुदातस्चस्वरिदप्रच्ययस्तधा,
কম্কম্ ম্র্জেন্থি চেন্থম্, জন্১ম্ য়টান্ঠবামেবচা,
কধ্বেরোবেয়র্ম্রম্রেরেষা, চম্সম্রাওরেরুএরেবচা,
ক্ষেয়োর্ম্রের্জনোর্রেক্পা, মুরীরোর্র্থ্র্ের্সের্ক্য়ারে,
উ্পাত্মানিযিতিচা, সন্যুক্তাক্ষরের্চা, পদন্গ্রিযাকারক্ষ্টন্পাতোর্গ্তির্ভ্য়ার্,
সন্যধের্য়ার্য়তাকার্ষার্পর্ষ্পর্ষমন্েরাহর, বাক্য়ব্যমজ্ঞম্র্ভর্যুবার্ভার্ষুপ্রার্থলালিতাহর্য
সম্সকার্পয়্রদেভেবেরশাক্রহান ধারন্গর্ম্সের্শীহের্স্বেরশাত্ব্য় Colombo
সম্সকার্প্রত্প্র্ভার শ্ক্ষ্আগ্রহন্ ধারন্গর্মহে আসোতারস্ার্ধীম চেত্রম্ ীস্তরস্চের্চত্র্স্ম�
হ্ম্সস্চ্চিষ্যাদেক্যো বসুস্চ্চ্যংরোন্ দ্রিক্ষস্থ্ হোতাচ্য়েদী শ্যাদ্যুর্নে র্ত্র্থেত্রোন্ স্থ্র
অৰ্বংসমগ্ঞার্ ক্রূতর্ভ্রহ্ সুক্ষ্মবশানুর্কঃ স্থ্য়গ্যার্ন্ মনম্ত্াংর্য়ের কাছ্স দর্র্মহ ব্যওজ্যু
কালং কাল যস্চ কাল আত্ম কাল আপ্ ভ্যুত্থ্যত জাগ্রহ্ কাল সাজেপ্য কর্ত্কাংর্তা ক্তে দ্্যার্ধে কার্যক্হ দুচ্য�
পুনীদারেলে কলাল সহা অংকে লোদখ্য পাক্তে মী মাতার্যক মুগাস্র্তহ েদ েদান্দ শাস্রার্থ দ্্যাক্যান দ্প্রহ�
সনাতন নের্ভেজ সন্নপ যেক্তো হর্দযেশ্যাহ অক্ষর অক্ষর জীেশ্যহ শ্যমে ক্ষযক রোচ্যুতার্ কর্তাকার যেতে কার্যং
সুর্ধো মুদ্ধে প্র বুদ্ধস্ট স্নেক্তো মুক্তস্ত মুদ্ধতার্ সন্কল্পদো মহুভো সর্াত্মা সর্না মহেদে সহস্র জ�
স্যাম্দার্য সুচকহ মুকন্যস্ত করেক্রস্ত পাদা ক্রটলপ্ প্রভু নেত্রি হাজাস্র সমূদে ক্ঞাক্ঞ সাত্রিকতা মজাহ মহা
দ্যর্যা সারো মুষ্যার্থতাহ নারার্যনার্ষ্র নেরমাদ ম্থু কেট্ ভমত্ধনাহ
েদকর্তা েদভর্তা েদহত্তা েদंপলহা পুঙ্ঘার পুঙ্ঘেজাট্যপ্র্ন শাট্ কুঞ্র্যিকর্থত�
পযমুদদরকহা চিনমুদদরা চন্হতো হসত তলপিঞ্যসত পঁসতকহा
িদ্যা নামনीং সরিযং শিষযান् েদ যন্যত পঈভগम् অষটার নকমন्য অষটবুদ রষ্তে সরষ্তি কর�
সরা তদত্ যাক্যাত জত শশ্ট�কল অধপাঃ শঁভযক্সমক শঁধত সরੂপ সকতে সদি সগরেত মরদেষ্যং র�
নরনারা গণাগরতয গঁরশিষ্যতমা সথিদহায় পরআমরাতমা পররপপা নপপা পনাশনহায় দযাগনহতচম�
ভযাহরতা পিযমবদহা সরিমঁখালੋকন অসরমসতে করওঞচকঃকউহকাংচনহায় চতরিকমনডডলঁ ধরওভামনੋ �
চরণাগত সনদরাতা সরা যওধযক মকতিদহা সনগরজনকষম দোদকরও ভলবান মুসল যদহা করষণ কলেজহল কর�
যেসাসতोণ কলিকাল�শিয নাসনহা সাথুটিষকরতાরইতরান মনাশেহিতੋতযहा ৈরিকੂডডિযಪরবইতসি�
সুললাটসু তিলকসু পরੂকসু কপੂলকহा সিধাসতসদালੋক সধাসযਨিরদচচতহा তারকাকੋণকাকারেন�রম
সিলরতনাংগ কঙকণহा হরিনমণিগণাপতধসংখলাকঙগণੋরিকহा সিতੋপিতসমসিষচযতপতবাকচমনिমাল�
মনদারমালিকা মওদিমন্জঁভাগমলচচिহे দিিযগনদੋ দিিযরসੋ দিিযতইজੋতিসપত�হे
বাচা লওপাকপতরকতা বযাখযা দআাদে নাংপরিযहे ভকটহরণমদ রওপাদে দইপা ভতরা সনস্থিতহे
সরদিজননे তসনিখথ সিধত সিধত সনুতহे মूলকংদদ মूকংদদ গলঊ সযম ভੂষম ভੂরইংতহे
ইষটা মনরিয মকাল কালিয কংপকল আরিধी কলযা কামঈ তআভইম কাতর যহরণ করদী
সমরিয পকক রসতরক চরচা নিরধারণ আদযহा গেতিরইকੋ িেকষট পরেশ পরকরম অকরমহा
পরাণমরদি ভওপরাকযঃ পরকযআ চজাচ ধারণহा িদরিধাদ যধিরদভপ পরভসতিহी
চজাচ সমজযঃ পংর পকষক ককষযও পপাদকহा রাধধাং লওপিঃ তওণযয ভলনিষপতি রতভহा
আনারঊপাডি তনজরআপিয হালੋপযসতিহी সরসাধারটੋ দੇসচাত সআদुহিতেরতহा সਂধযাজনাতਂ ধ�
পাকম জওদে যদনপারিধিসতমরিসতরহा েদরিহরণংদরেতা পশুপাচসতমসকরতे
েদরমনদরতাদসচতরযমহঙগনচলঈমদতমসকরমজসতরমজআমগইতি রদকিতসসরমসাধনம्
যাজয পঁরওনাকযচ সআমিদেনी সমूহনம् পরযੋকত পরযੋকষচ পরਞচ পরাজঁভাসচমহम्
সরধা পরধমজনাতউষটিফ কউষটিফ পুণযਮ् রদিরভহम् সদস সদস কে জমবাত পরশਨ পরতিজসচ্চেতে পর�
তনাচিংতা নিরেদসচ্চিহসতত দেহমরতকরমসমপাদত কইঞজতকরমানং কংলকহা
অহে তঁকত যাপরইম সআমुখযং জআপকে নঁগরহं সচি সরিমত কংলজনੋ নইতা সত ভিমানাল
অনদ রাজঃ হর পিতরੋ রদੁষ্ট আহার দাযকঃ সঁথাহার রওপাংগ রিডাম িধাযকঃ
সরা পাতাদে িপদাংপার হরতাপরাজণঃ সিরফ পাণিযাদে সনধাতা ক্ষেম গরতপরাণত পরভुহू অনইর�
পলাতি নাসাংত আতয পসাযদহा সঁখঈজণ নওপইতੋ সদনে হওদনे পরদহा উততমাযফঃদো পরমহণিষটর নক�
মেধা িধাতা শরতা গত সাস্তয দੋজা মিতাহরহा ੀষਣु সতੀজ যাধাতা দੇশ কালা নকੂল যগত
ੀনেতা সত্পতানেতা দੋজা করুচচ ভলসসভা খরੀতੋ ভੀতੋ রੁচੀকরੋ ੀশੋ ੀশ੍ਮ হੈতੇরতহ
পরমাদ হੈত পরাপত কারੀ পরধੀং মাপলম অত্তরহ সআংগ ੇদ সমারੁকੋ সর শাসটর তিতিদহ
বরমা জੀ আংদ রাযক নপরিয করুতত করুতপরহ চিত্ত শথতি পরদসচিন হক্ষচা পলয হক্ষমাহ
ইংদরা যাথর তিক্ষেতত িটি কময সরাহ
আতমা নকੂলয রজিগরং ধখিল আরতি িনাশকহ
তিতির শঁহতপ রআেদি গঁরु সথভকটি তেজসহा
গঁরु সমবন্ধ ঘটকੋ গঁরु মিষমাজত্ধਨহा
গঁরु পাসਨ সনধধত গঁরु পরইমপরতধনহा
আচারয অভিম দযরিউকত পঞজসমসকরতি ভানহा
গঁরঁ ইপ্টরত्ত্যनে ইসচলয সনধত আপঈহতसঠে আপਨাখिলরক্ষাথ্থ আচারয গமඁपাষরত
সাসটর পাণি পরদানেন ভহম পকনাংচ মঁতদরਨ्য পাংজ কালিক ধরমেষু নইসচলয মরতিপাদযਨ्য
সদাস আরাধ নাতিযত্য সঁধধ তরয পরদাযকঃ ঞাস িদজাੀ নইরগੋডান्য সতাতম ভহরকষকঃ সকঈইংক�
বরমহ িতযাস মহাসাদ সহিত অকরদ সমসকরতी সতকারই িষধিতাত তরੁণ੍যம্ষম পঁধধিতহ
সহাং পরত্যায জনযালইং সর্তক সমপঁধধিতহ সম୍ভািতাসই শদੋটহত পঁনর੍যাসরੋচকহ
মহািষাসসনধাতা সথঈর্যতাতা মদাপাহा বাদপযাক্যাং সসিপধাংত রক্ষাহেত সমনদরদহा
সমনদরজপসমসিতধ জঙখালতেনি তওদযहा অতुষটগुণতকাপিয পনধদযमुকতচইতনহा নইঞিযপরধান রজ�
সমনদদরজপসমসিতনহा অতुষটগुণतকাপিয পনধদযमुকতচইতনहा নইঞিযপরধाন রজ
করণতরয চারঊপয কলযানকরতিসাদরহा করাকদদেতি কঈইংকরয কামि নাংশইষিতাং ভজন পরবিওহাদে ন�
মতিপ পালক পরিতামহঈ নিরনদরন মওাক সউততবাদে করদাসরযহा মকতি লসেত মরদতরোপ সেত ত�
হারতো অঙ্কুষ্ত পরমাণানস সদাসসতকরদতাগরতে তনমতর রসিজওদযन्ন পরাণানযতকরামজননোরি ক
আনদাজান্ পরমহরন্ রাজুদন্চযন্ন উপাসনপরাংচরান্ পরারপধমনুভাযਨ্ন
সরপরারপদ দেহাংতইষযন্ তিंসমরনংতিষন্ন পরপএযुজাংপএযुজাঞ्যयम দরষতিভাযਨ्ন
দিযতইहপরসসরয।रযूং মওক্ষਮেযउসাং আতিআহইकসতকाরअনত্ਨ्याभातयमानयन्ন
सर्वानकरतपुरषशशत प्राभृतानिप्रतापयन्न দुरंतमाया कान्तारं দुदं योगे नलंकयन्न
स्पायक्सुतरश विविदवीत्यतेनात्वनारयन्न সीमान्त शिन्द विरदान्योगे नौर्तारयन्वसी
अमानवस्त देवस्त करंशिरसिधारयन्न अनाधिवासनां धन्मन्वैकुन्धाप्यासलोगयन्न
अहेयमंगलोधार धनुधानान्सरूपयन्न सूरिणुष्तं सुखैकान्धं बरमंपदमावयन्न
अरारन्यामृताम्भोधि धर्मयन्स्रमनाचनः दिव्योध्यानसरोभापी सरिंमणिनकान्दयन्न
ऐरंवदाम्रुतसरोगमयन्पूपब्रुम्हनः अश्वत्तं सोपसवनं प्रापयन्विष्टरष्ष्रवाः दिव्याप्सरस्समानीतः ब्रह्मालंकारतायकः
दिव्यापासौन्या रक्षोम पाल्येस्वान्महुमानयन्न स्वीया मयोध्यान नगरीं साधरंसं प्रवेशयन्न धासान्दिव्यण सालोक अंधां सलशरीरयन्न सदाजान्सूरिवर्केण ससनेहंबहुमानयन्न
थुष्यत्कुमुद जंदाथेर्विष्वक्षेनान्ति गन्दयन्न
सேनेशचोधितास्தान नाजकोःहेति नाजगः
प्रापल्यन्दिव्यवास्तानं भयन तेजं प्रणामयन्न
सरीवचुन्द सूरेंद्र दिव्यपंदिन प्रणामयन्न
भास्वरासन पर्यंग प्रापनेन कृतात्थयन्न
पर्यंग विध्यासं सिद्ध सर्ववैभवसंगतः
स्मात्मानमेव श्रीकानंदं साधरं पूरिदर्शयन्न
सेजदैकरतिम्षेजम् सियात्मानं प्रणामयन्न
अनंदाक्षित्ति साहत्र साधरालोग्वात्रयण्न
अकुमार युपाकारं सेकांतंसं प्रणामयन्न
अतनटानन्दधोहे तोरन्जयचलिकिम्चिदं
दासनत्युत्ति दिमुहत्रति सर्ष्टि प्रसन्नकरते
सियं ब्राप्य स्रयं तातं जीवं उत्रं बहर्षयन्न
मज्ययं सो काम्बोधो स्वकान्केर्तिरु चिंदिषन्न
दयार्द्रगंगा भलना कृताख्लाधै तुतार्थयन्न
परियंकारो हडपरखकं स्वयं लक्ष्णो पपाधयन्न
कस्तमित्यनु यंजानो दासो स्मेत्युत्ति विष्मितः
अप्रुधक्त प्रकारो स्मिवाचा स्वासितवच्षलः
विदुशान्दत् क्रतुनया दयास्यवपुषाभवन
वासु देवात्म नाभूळ्यो भवन वैकुं धनायकः
यथात तथैवस्ववशो जगन्मोहनमूर्तिमार
द्विमूर्तिमहुमूर्ति च आत्मःस्टप्रगाशयन्न
युगवत्सगलं साक्षात्सदः कर्तुं सबधःन्न
कवी नामादिषनमित्य मुक्ळानामाधिम हकवि
शडवन नमननिष्ठानाम् स्रेदत्रीबस्तिजन्थिःन
12 शाक्षरै निष्ठानाम् लोकम् सान्धानिकं्थिःन
अश्टाक्षरै क निष्ठानाम् कार्यम वैकुं धमर्पयन
शरणाकदि निष्ठानाम् साक्षात्वैकुं धमर्पयन
स्वनंत्रराज निष्ठानाम् स्वस्मादतिषयं धिषन्थिःन
स्रिया गाधो पगुणात्मा भोतधात्री रुषिन्धिषन्थिःन
नीला विभो दिप्द्या मुख्दो महाश्रेदात्वमस्थगः
त्रियक्षस्त्रिपुर सम्हारी रुत्रस्कंदो विनार्यकः
अजो विरिञ्जो त्रहिणो व्याक्तमोर्तिरमोर्तिकः
आनंगो नन्य धेशंग विरंगो वैरिभंगदः
स्वामी स्वं स्वेद संतुष्य शक्र सर्वाधिकः प्रदः
स्वयं जोधि स्वयं वैत्य शूरश्यूर पुलोदः
वासबोवसुरंबोकर् वासुदेवस्वुरित्वसुः
भूतो भावी भवन्भव्यो विश्णुस्थानस्सनादनः
दिख्यानवावोनेदियान्धवियान्दर्विभावनह
श्रीमन्नाराणणोभाजुदेवोभ्यात्वेष्णरत्तमः
इती दंबरमंकुष्यं सर्वपापप्रणाशनं
बागीशनाम्नाम् साहस्त्रम्मच्सतेवीतंवया
येइदं सुन्यात्वक्यास्रावयेतत्स्वयंबधेद्र
नासोप्राप्नोतितुरिदम्यहामुत्रचकिञ्चना
तदिदं ब्रजपन्स्वामी विध्याधीषोहयाननह
ख्षत्रियस्चेन्महारुत्रो विक्रपाक्रांद सर्वभूहु
महोदारो महाकीर्तिर्महितो विजयीभवेद
ऊरुजस्चे दुरुजशो धनधान्यसमुर्धिमान
अशेषभोगसंभोतो धनाधिपसमोभवेद
स्रुयादेवख्षलस्वगनं विप्रात्सुपूजिताद
महिमानमवाप्नोतिमहितैश्वर्यभाजनं
स्रीमतोहयशीर्षस्केनाम्नाम् साहस्रमुत्तमं
शुन्मन्बधन्नपिनरस्सर्वान्कामानवाप्नुयाद
धर्मार्धकामसंतानभाज्यारोख्योत्तमालुषाम्
प्रापनेपरमोहेतुस्तवराजोयमत्भुतहा
खयक्रिवेपराम्भक्तिमुत्वहंस्तवनंबधेद
तिजन्ध्यन्नियतस्चुत्थस्वभवर्कार्यकल्पदेद
त्रिफ्पधन्नमसाहस्रम्प्रत्यहंबागधीषितुहु
महतीम्कीर्तिमाप्नोतिनिश्सिमाम्स्थेयसीम्बिया
वीर्जम्बलंबदिप्वंचमेधाश्रत्थावलोनती
सारस्वदजमुल्तिञ्जभव्यान्भोग्यान्नतान्सुतार
अभिरूपाम्बधोम्सात्रिम्सुरुतस्तैतैशिनाह
ब्रह्मविद्याप्रवतनैह्कालक्षेपंचसंततं
हयक्रिवबदाम्भोदार्दयह्स्यानुकूलताह
लभेतनिर्मलाम्शान्दिंहंसोपाजनदथपरः
श्रीमत्परमाहंचस्यचित्तोल्लाजनजन्निधो
इधंतुनाम्णाम्धाहस्तरमिष्टसाधनमुत्तमं
पापिपापात्तिमुक्तस्त्यात्रोगीरोगातिमुच्यते
बद्धोउबंदातिमुच्यतफीतोभीतेर्धिृमुच्यते
मुक्तोदरित्लोदारित्यात्भवेत्पोर्नमनोंरतः
आपन्नापदान्मुक्तोभवत्यवनसंचयह
हम्सार्चनपरोनित्यम् हम्सार्चनपराजणः
नित्धूदगल्मजोनित्यम् ब्रह्मसायुच्यमाप्नुराद
एभक्ताफ्परवेहंसेश्रियामितुनितांगदे
जन्मव्यातिकरा नाषवयभाजोनते जना
ाचार्या तदिदंस्तोत्रमधिकत्यव ठेण रहा
तस्येदंकल्पयतेसिध्येनान्यथावत्स्काष्यभा
आचार्यम् लख्षणे उग्युत्तमन्यं भात्मविदुत्तमं
वृत्वाचार्यम् सदाभक्यासिध्ये खडिदमश्नुयाद
सयाति परमाम् विध्याम् शकुने प्रम्हार्षिणी
हयास्क्यनामसाहस्तस्तुतिरंभोविनाशिणी
परमोहम्स एवादो प्रणनं ब्रह्मणे दिशत
उपाधिषत्ततो वेदान् श्रीमान् हयशिरोहरि
तेनासोस्तवराजोहि हम्साक्याहयगोचरः
विध्यासाम्राज्यसंपत्ति मोक्षयिकपलसाधरं
सर्वविध्यात्मभावेन परमं पदमाप्नुयाद
नदत्रसंचयक्कष्चिन्निपुणं परिपष्यति
तथापिस्वात्मनिप्रेमसिंधु संधुख्षनक्षणा
कितीदं नामचाहस्रं जंग्रुहेतं तथोत्तरं
एवं जंग्रुह्य देवेन हर्यक्रिवेन पालितं
स्तोत्तरत्न विदंदत्तं मध्यं दत्कथितं तवा
हम्सनामसाहस्तस्ते वैभवं परमाद्भुतं
वक्तुं जिधावत्कष्यक्तो भर्षकोटिषतै रभी
हर्यास्त्रफ्परमोहम्जो हरिन नाराजनो व्ययः
कारणं शरणं रुद्क्रंवर्तं जाखिन आत्मनाम्
सत्यं सत्यं पुनस्सत्यं जेयो नाराजनो हरि
समाण पधिकं बेदान्न दैवं केशवात्परम्
तत्वं विक्यातु कामानाम् प्रमानई सर्वतो मुखाई
तत्वं सपरमोहंस एक एवजनार्धना
इदं रहस्यं बरमं महापातकनाचनं
नचाशुस्रुवेवाक्ष्यं नभक्तायकराचना
नाप्क्यं यदेवभक्ताय नवाक्ष्यं नास्तिकायचा
अधीत्यै तत्कुरुखा तन्पहं यपधेन्नरहा
इति हयवदनारविंदान्मदुलःरीवनिर्कारंधी
जगति दशषती ततीजनाना
जयति जडानपिकोर्ष्युद्र्यंधी
इति स्रिहयक्रीवरुशिप्रोक्तं
स्रिहयक्रीवसहस्रणमस्तोक्तं
सम्पूर्णं
सर्ववित्यास्वरोपाय लख्ष्मीसं स्रिष्टवक्षसे
मतुपाजन लख्ष्याय हयक्रीवायमंगलं
हयक्रीव हयक्रीव हयक्रीवेति योबदेद्र
तस्यनिस्सरदेवानी जन्मकन्या प्रवावद
स्रिलक्ष्मीहयवदनबरप्रम्हने नमः