मेरे जगर मैं खत कैसा सूरत भोरी भोरी
वोल मुनती गर दे भी खड़ाल चेहन थी कर दे भी गर दे अंदूस कर जाओ भी
कैसा सूरत भोरी भोरी
जो भी लाड़ लापूत था गर क्या का तेरा प्यार में बन गया बागी
एक खता करा के मन गयो जो बन तेरा भोरी
मेरे जगर मैं खत कैसा सूरत भोरी भोरी
सूरत भोरी भोरी
समन जूं तरा गात कुजड़ दा सूरज मून बनादे
जगर जूँ ये हुंथ रसी ले एकडे मानस कर दे डिले
कहती दारू में ना नशा जाम मेरी आख्यां आळे पिले
आख्यां आले
मेरे गर मैं खत कैसा सूरत भोरी भोरी