काल हेरी चार दिभाईल करना ही काम हमरा,
सूनावा के फ़णवा नाही, लागेरां महमरा.
बानी परदेश में बढ़ह जाता परिशानी
पता नाई के जान कैसे हमार जीयतानी
बानी परदेश में बढ़ह जाता परिशानी पता नाई के जान हमार कैसे जीयतानी
परवे के बात भयल हो,
परवे के बात भयल में हैराम हमारा
सुनावा के फ़नावा नाई,
लागेराम हमारा
सुनावा के फ़नावा नाई, लागेराम हमारा
सुनावा के फ़नावा
बाबु अमाई जी के हालो ना बताईली,
कैस तन बहाल नाही हम के बताईली
बाबु अमाई जी के हालो ना बताईली,
कैस तन बहाल नाही हम के बताईली
मन बाउदास हमर हो,
मन बाउदास हमर बनी परिसान हमरा
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