बिखरे बिखरे सहने सहने रोज शब देखेगा कौन।
लोग तेरे जुल्म देखेंगे सब अब देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने सहने रोज शब देखेगा कौन।
हाथ में सोनी का कासा लेके आये है फकीर।
इस नुमाईश में तिरा दस पे तलब देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने सहने रोज शब देखेगा कौन।
इस नुमाईश में तिरा दस पे तलब देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने सहने रोज शब देखेगा कौन।
इस नुमाईश में तिरा दस पे तलब देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने सहने रोज शब देखेगा कौन।
शायरी में मीरो गालिब के जमाने अब कहा।
शोहलते जब इतनी सस्ती हो अद्भ देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने सहने।
बिखरे बिखरे सहने अद्भ देखेगा कौन।
बिखरे बिखरे सहने।
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