प्रेमी भगजनों
एक बाला जी महराज की भगतनी
जिसके घर में कोई संतान नहीं होती
वो बाबा हनुमान के द्वार पे जाती है
और बाला जी महराज की करपय से
उसकी जोली में एक लाल आजाता है
और अपनी सक्ही में एपनी सहिलियों में
कैसी बाला जी महराज की बड़ाई करती है
इस बजिन के मादम से रखता हूँ सुनिये
कैसे
सोना सलाले दिया मुझे बाबाने
वेहना में हूँगी माला माले जाके महेंदी पुर में
सोना सलाले मुझे दिया मुझे बाबाने
हैना में होगी मला माल जा कैमेदीपूर में
बरसोते मेरी गोध थी खाली
मन मैं मेरे थी गण काली
होगी है मैं खुसी हाल जा कैमेदीपूर में
सोना सलालें दिया पापा ने
दैना में होगी मला माल जा कैमेदीपूर में
इब खाई मन गूँद पंजीरी
जै जै
इब खाई मन गूँद पंजीरी
गर मैं कदर इब हुई मेरी
सजगी फुलो ते यहां डाल जा कैमेदीपूर में
सजगी फुलो ते यहां डाल जा
कैमेदीपूर में
सोना सलालें मुझे दिया पापा ने
और कहती हैं कि बहान
जबतक मेरी गोद में कोई लाल नहीं था,
कोई बेटा नहीं था
मेरी घर में कोई गदर नहीं थी
अरिब होया के
जिवत मेरी गओद में बाला जी महाराज ने यह लाल दिया है
मेरी सासड भी लाड करे से और मेरी ननने भी कह से
सासड भी मेरे ते लाड लडावे
ननने दन्ड़ भी बिनाजी उठावे
पदली समय की चाल जाके मेंदीपूर में
सोणा फलालें मुझे दिया पापाने
बेनामे होगी मालामाले जाके मेंदीपूर में
जबापकी
प्रस्ता दो
गुरों सतेंदर ते हवाने कराऊं
राजूहन से तैकिरतन कराऊं
राजी में हर हर साल जाके मेंदीपूर में
सोणा फलालें मुझे दिया पापाने
बेनामे होगी मालामाले जाके
मेंदीपूर में
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