सोना खोजन में चली सूना हो गईल देश
सोना मिला न प्यू मिले उजली हो गई गेश
बंबई दिली कानपुर लखनव छपरा पटना
कौन सोतीनी आके दिशवा मुर हे रहे सजना
खोजत खोजत सब दिन बीतल बीतल जागत रहें
दूर पई पिया हमरे नैन से निनदिया ना एक पैन
सूनी सूनी से जिया लागे सूनांगना
कौन सोतीनी आके दिशवा मुर हे रहे सजना
मनमा हमसे बोले धड़क के आगे बलमातोर
आदि रात को बैरी होके खनके कंगना मोर
उठके देखू मैं आंगन मां बाज कंगना
कौन सोतीनी आके दिशवा मुर हे रहे सजना
याद पिया की करते करते पितल मुर जिंदगाने
राह तकत उजली भाई के सिया माटी भाई जमाने
अकियां फूटल पियां के खोजत
सन्यां भैले सपना
कौन सोतीनी आके दिशवा मुर हे रहे सजना