देशो मेश्वर देव भोलिया करू तमारी सेव जटामा वसे मात गंगेव।पतितने पावन करती पार्वती नापती खोडले रमे गुणन पती जापनीत जपे जतिने सती।पारती रोज उतरती पारती रोज उतरती।काल तणाचो काल कंठ मा जूली रहा कंकाल अंग पर रमे विखन धर्व्याल मनी धर्मनियल काला।गरल धरल नील कंठ धतुरा भांग त्रत्त आकंठ निशाचल।भूत प्रेत नाचन्द भयंकर भूरि लताड़ा।पारती रोज उतरती पारती रोज उतरती।दिर्मन जड़नी धार धरे कोई बिली पत्र उपहार शिवाई ओम नमः करे उच्छार ध्यान शंकर नो धारे।धर्म अर्थरे।पारती रोज उतरती पारती रोज उतरती।स्थान भूमि शम्शान धुर्जटी धरे अलखारो ध्यान दिगंबर महा देव भगवान।देव धैत्र ने नाग मानवी कोई ना पामे तार अजर्वार तारा गुण ना यथार समर पेशम भूदं धंव।पारती रोज उतरती पारती रोज उतरती।चटा जूट में चन्र तिलो चन् अगन जटागुण।जाड़ परचन्त। तृशूल पे डमरूटाक बजन्त। वास कैलाश निवासी। भवहर भवरानाथ। सघरा साथ वड़ा सम्राथ। अगवहर अनाथ। हंडानाथ। ताड़ तल भवरी फासी।आरती रोजब तरती। आरती रोजब तरती।चवे चवदही लोक पुकारत। नाम मिटे सब शोक। चरित बंब चाय जगत रेचोक। जैहो पिनाक पाणी।अलगारी उछ रंग धरी। गुण गाय करी मन चन्द। राखिये नाथ त्रिलोखी। रंग वदत नीत विमलवाणी।आरती रोजब तरती।आरती रोजब तरती।
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