दिलकश दिलकश
किसने सुन्दर सा सजाया
ये सिंगार भवानी का
सिंगार भवानी का मेरी महरानी का
लोपा ये लगा है जो धर्बार भवानी का
किसने सुन्दर शा सजाया ये सिंगार भवानी का
किसने सुन्दर शा सजाया यि चेाज है
जय जय मईया जय
चक्र संखतिर सूल हाथ में माथे मुकुट बिराजे माँ
पाउपे जब जखगा चिंचाउर महावर साधे माँ
देख के शरमाजाये चन्दासुरज़मा के आगे तीनो लोक में जय
जयगुझराहं जय कारभवाणीचा
सपने में देखा मईया को सजी है लाल चुनर में मा
सजी है लाल चुनर में मा
इसे नूर चलक रहा है फैल रहा है अंबर में मा
छोड़ के मुच्ये परवत भी आएंगी मेरे घर में
बूलिट परदूमन रोषन को है इंतजार भवानी का
इसने सुन्दर सा साजाया ये सिंगार भवानी का