संधन होजे, अगंध होजे
कितन से चहरी उन्द होजे
मन होजे, आमंदर होजे
खुलन होजे, आगंध होजे
सिंधन जा मेला,
मेला मेला, सिंधन जा मेला, भारो लगन दाई रहना
सिंधन जा मेला,
मेला मेला,
सिंधन जा मेला, भारो
लगन दाई रहना
सक्र सिकंडरा बाद होजे,
बंबई है का बाद होजे,
कांधी गाम जी आद होजे,
एसे ही रापार होजे
सिंधन जा मेला, मेला मेला, सिंधन जा मेला, भारो
लगन दाई रहना
अज सिंध अचेती याद
प्यार सिंधन जोध सी,
तिल चोगती ये आबाद
दूरन का मन्दिल होजे, मोजा होजे, खिल खिल होजे,
मतल सदा मैंदिल होजे,
हर दीच का मिलल हर जुद्ध होजे
मस्तन जा मेला,
मेला मेला,
सिंधन जा मेला,
भारो लगन दाई रहना
ओई जुले ला लगे डरते
आहे सबनी जी आस,
जग में सब जो खे बलो,
जे कोई की न निरास
पेंज पिरी जो प्यार मिले,
दिल गुरे और दिल खार मिले,
बुलन संदोग खार मिले,
यार सगद जी यार मिले
यार न जा मेला,
मेला मेला,
सिंधन जा मेला,
मेला मेला,
सिंधन जा मेला,
भारो लगन दाई रहना
सिंधन जा मेला, मेला मेला, सिंधन जा मेला,
भारो
लगन दाई रहना
सिंधन जा जी तार संधी,
शिमन पे जार संधी,
भिल जा जी दार संधी,
सुनिया के तलिये जलियंगे,
अनफावापार संधी,
ओमिजा यार गुर्दधार वापाथार संधी,
सहिणा में सेने संधन,
सहिणा में हार संधी, आपने जा यार कंदी,
ओमिजा यार गुर्दधार वापाथार संधी,
सहिणा में हार संधी,