सिंध हुझे आ हिन्दु हुझे
कितेज कहरी मुंद हुझे
मना हुझे आ मंदर हुझे
खुयल हुझे आ वंग हुझे
सिंध ने जा मेला मेला मेला
सिंध ने जा मेला वारो लगन दाई रहन्दा
सकर सिकंडरा बाद होजे, बंबई है त्राबाद होजे
गांधी राम की आद होजे, ऐसे ही भी राबाद होजे
सिंध ने जा मेला मेला मेला
सिंध ने जा मेला वारो लगन दाई रहन्दा
मेले जी मस्तीद सी, अज सिंध अचे थी याद
प्यार सिंध ने जोड सी, दिल छोनती ये आबाद
भूरन का मंजिल होजे, मोज़ा होजे, खिल-खिल होजे
मपल सदा मैंफिल होजे, हर दिल संगल, हर दिल होजे
मस्त ने जा मेला वारो लगन दाई रहन्दा
भूरन का मंजिल होजे, मोज़ा होजे, खिल-खिल होजे
भूरन का मंजिल होजे, मस्त ने जा मेला वारो लगन दाई रहन्दा
जित पेंजे पिरिये जो प्यार मिले, दिल खुरे और दिल तार मिले
खुलन संगल, खुल तार मिले, यार सगद जी यार मिले
यार ने जा मेला वारो लगन दाई रहन्दा
औमि जा यार संगल, आपने दिल तार संगल, दिश्मन ते थार संगल, दिल जा दिल तार संगल
दुनिया के अलिये टलिये में, गलता वाफार संगल, औमि जा यार कुपतार वाफार संगल, सहिरा में हार संगल, औमि जा यार संगल
दुनिया के अलिये टաर संगल, दिश्मन ते थार संगल, दिल जा दिल तार संगल, दुनिया के अलिये टलिये में, गलता वाफार संगल, औमि जा यार कुपतार वाफार संگ� lis
सहिरा में हार संगल