शमान बसो वृण्दावन में मेरी उमर बीत गई गोकुल में
शमान बसो वृण्दावन में मेरी उमर बीत गई गोकुल में
मैं तो बनके दुलहन आज सजी बस तुम ही मेरे तनमन में
शमान बसो वृण्दावन में
और न सही जाए आप से दुरिया
अदि मन की इच्छा मेरे काना करते आप ही तो पूरी मेरे बुरे समय में भी दिया
आपने ही साथ आप ऐसे मेरे लिए जैसे साँसे है ज़रूरी जब मैं हारा था
आप ही सहारा बने काना खुशिय नहीं थी पर आपने ही डाला उने काना
मेरे विचार जो पीछे मुझे खीचे जा रहे थे
बस आपने दिया ध्यान और बारा उन्हें काना मैं
यहां वहां कहां कहां उन्हें भटका रोज मेरे
मादव ने पकड़ा हाथ वही बने दोस्त
कृष्ण आपको तो बता अभी परिशान थोड़ा मैं
दुख मेरे हर लोग मुझे चुब रहे ये भव था
शामान बसो विन्तावन में
मेरी उमर बीत गई गोखुल में
मैं तो बनके दुलहन आपको
जिस जी बस तुम ही मेरे तनवन में
शामान बसो विन्तावन में
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