नर्शी भगत
हर्ननदी के यहां भात लेकर जाते हैं
और वहां उसकी किस तरह से हसी उड़ाई जाती हैं
तो
नर्शी भगत
उदास उदर के कनिया को किस तरह से पुकारते हैं
सुनिये इस भजन के माध्यम से
प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान
प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान
प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प्रश्यादान प
शाम हरनदी दे खे
बाठ पाटडे रोरो मर लेगी
बना मन
सामल मुल की लाथ जोड लेगी थाडी सरदारी
सामे मेरी लाडो रो रो मर ले खोडू में भी जिन्दगानी
रे मोहन जया भगत पे कर ले मत करवा कुण बागानी
मोहन जया भगत पे कर ले मत करवा कुण बागानी
मोहन जया भगत पे कर ले मत करवा कुण बागानी
मैं
खड़ा लगाऊं तेरे
आसमन तेरी भारी से
मैं खड़ा लगाऊं तेरे आसमन तेरी भारी से
मुन मत करें मिनट की देर जगत मैं आस तुमारी से
देर जगत में आस तुमारी से
दावन कड़े मिनट की देर जगत में आस तुमारी से
मोन उड़ रहा आज मखोल स्याव मैं तेरी ओड लखाऊं मैं
भगत की तेर सुनी शामान दोड के सिर सागड आये
भगत की तेर सुनी शामान दोड के सिर सागड आये
वजन ना गर के गाऊं मैं
काना मेरे ना विगडी का मोल भात पे कैसे जाओं मैं