रभु मया काहा क्यू गोतर भिलन हेला राधाकुष्ण कर
सर्वगोपिवो पाँगना मिलन राधाकुष्ण आरती बनाईले हुलो हुली हरी
भग्दी गित गाई नाच थै थै सुजन साध्मुजन
उबागर कुम्जवन एसुजन
आगो राधाकुष्ण जुगल चरणरे पंचाम्रुत दिपन इबेध्यरे
रभु का सहस्र नाम गाईन राधाकुञ्ज करिन संकिर्तन्य लिला हुला संप्या
पिननरतम करिने रचन सुजन साध्मुजन परिकेते गुरु ज्यान हे सुजन