दर्ते अंबर स्रिष्टि स्वामी
तुम ही भगवन अंतरयामी
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
हो चार भुजा प्रभु
शाम शरीरा
चक्र गदा कर हरी के तीरा
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
हो
आपकी शक्ति जग उज्यारी
आरायण
तुम ही खरारी आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
सुन्दर काया रूप मनो हर गले बैजनती
तन पे तांबर
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
जब जब प्रभु को
भक्त पुकारे
कष्ट हरे भव पार उतारे
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
तो आप ही जग के पालन करता आप ही हो जग के दुख हरता
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
लक्ष्मि पती तुम अखिल बिहारी तुम हर युग में विपदा टारी
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
शेर
सिन्धु तुम करते
निवासा आप के
तेज से सूर्य प्रकाशा
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
आपकी महीमा नारद गाते
आपको हर खशण ही है ध्याते
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
प्रले आई
रूप मतस्य लीला रचाई
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
सागर मन्थन
जब सुर्कीन है कूर्म रूप ले
सहयता दीने
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
शन्याक्ष थो द्यात्य अभिमानी
ब्रह्म हरी का वो वरदानी
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
वरा रूप धरी आप पधारे
दानव को फिर हो संघारे
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
हो भक्त पलाद
हरी हरी ध्याएँ इरन्याकशप मूप्ति पाए
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
हो देवों के तुम
रखशाकीन हैं
वामन रूप
हरी तुम लीन हैं
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण
शत शत श्री हरी तुमें कराँ
धरती का तुम पाप घटाए
पर्शुराम के रूप में आए
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
हो आए हरी बनी दश्रत नंदन
अति ऊतम तुम दैत्यन कनाए
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
ओ आए धरा का पाप मिटाया लंकपती तुम स्वर्ग पठाया
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
आठवे रूप में बन के कनईया
नंद बाबा संग यशोदा मैया
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
ओ ओ ओ ओ ओ आए धरा तुम लीला रचाई
मारे कनस को कृशिन कनहाई
आप तो कड़े कड़े ने भगवाण शत शत श्री हरी तुमें कराँ
ओ
बुद्ध रूप में आप हुआ ए
बोध धरम का मान बढ़ाए
आप तो कण कण दे बगवाण
शत्व श्री हरी तुमे कराम
कल के रूप कले युग में होगा
प्रश्या का साफ ही होगा
आप तो कण कण दे बगवाण
शत्व श्री हरी तुमे कराम
हो मोहिनी रूप तुम जब रकते
आप तो कण कण दे बगवाण
शत्व श्री हरी तुमे कराम
हो मुनेंद्र प्रेम जी कलम चलाते
नित्य ही हरी को
शीष नवाते
आप तो कण कण दे बगवाण शत्व श्री हरी तुमे कराम