आरती करूं सरस्वति मां हमारी भवभय हारी हो
हन्सवाहन पदमासन तेरा शुब्रवस्त्र अनुपम मा तेरा
रावन का मन कैसे फेरा वरमांगत हो गया सवेरा
ये सब कृपाति हारी मा उपकारी मा तु हमारी हो
आरती करूं सरस्वति मां हमारी भवभय हारी हो
प्रमो ज्ञान नाशक तुम रवी हो हम भक्तन का विकास करती हो
मंगल भवन सरस्वति हो वहु मूकन वचाल करती हो
विध्या देने वाली वीना धारी मा तु हमारी हो
तुम्हारी क्रिपास गण नायक लायक विश्णू भय जग पालक
अंबा कहाएं स्रिष्ट ही कारण भय शम्भू संसार ही घालक
बंदो आधिभवानी जग सुखकारी मा तु हमारी हो
सद्भधि विध्या बलदीजे मा आक्यान खटादीजे
जन्म भुमी हित अर्पन कीजे कर्मविरमा हमको कीजे
ऐसी विनय हमारी सुनलो देवी मा तु हमारी हो
आरती करू सरस्वति मा हमारी भव भयारी हो