हाथ जोड करू वन्दना
हे
नरसिंग भगवान
द्वार तुम्हारे हम खड़े कर दो तुम कल्याण
दुख हरता करतार
तुम समार न कोई देखा तुम ही बदंते
भाग्य की रेखा
शप को संघारा भक्त प्रहलाद को पार उतारा
जिसने तुम से दीत लगाई हर मुष्केल से मुक्ति पाई
तुमको मन से पुकारा आकर तुमने दिया सहारा
काम क्रोध सब हर लेते हो काया
कंचन कर लेते ओ
स्वामी तुम अभिमार पर प्रवाद पर प्रवाद पर प्रवाद
पर प्रवाद पर प्रवाद पर प्रवाद पर प्रवाद
पर प्रवाद पर प्रवाद पर प्रवाद
पर प्रवाद पर प्रवाद पर प्रवाद
शुखिन के राचचक हो तुम अहंकार के
भगशक हो तुम
दया द्रिष्टि जिस पर कर देते उसके हर संकट हर लेते
जिनू तुम चक्डारी दयाने भे तुम संकट हारी
हे दुख हरता कश्च निवारत मोहलोब के तुम
संगारत
राह दिखाना जीवन पथ की डोर थामना कर्म के रत की
सूर्य सतेज है मुखमन
हर
लेकिन भगशक निवारत मोहलोब के तुम संगारत
तुम जगवीश हो असुर निकंडन तुम्हे नमन है तुम्हे है वन्दन
चर्ण कमल से दोर न जाऊं सदा सदा हरी
दास काँ
भति में बीते ये जीवन करती रहूं मैं हरी अभिनंदन
पर हमारे शीश पर रखना दया का हात
भक्त और भगवान का कभी न छोटे सात