बोलिये श्री किष्ण भगवान की जै!
बोलिये तुलसी माता की जै!
प्रीय भक्तों,
कार्तिक मास की प्रिष्डित्वत कथाओं के अंतरकत
सुनाय जाने वाली कथाओं में
आज हम आपको सुनाने के लिए उपस्तिद होए हैं
तुलसी जी की कथा
ये बहुती अलग और निराली कथा है
ध्यान पूर्वक शद्धा के साथ सुनेंगे तो तुलसी माता
जी का आशिवाद आपको अवश्य मिलेगा और आपका घर धन्धाने
से भरपूर हो जायेगा बोलिये तुलसी माता की जै!
कार्तिक के महिने में सब कोई तुलसी माता को सीचने जाती
सब कोई तो सीचके आती जाती पर एक बुढ़िया
माई आती और तुलसी माता से रोजाना कहती
तुलसी माता सब की दाता
मैं बिरला सीचू तेरा
तू कर निस्तारा मेरा
सुरीक्रिणठा
तुलसी माता सूखने लगी।
एक बार भगवान श्री कृष्ण ने पूछा
कि तुम्हारे पास तो इतनी आउर्टे आती हैं।
तुम्हें जिमाने गाउने
तो भी तुम कैसे सूखने लगी।
तुलसी माता ने कहा
कि एक बुढ्या माई आती है
जो रोजाना इतनी बात कहकर जाती है। मैं और तो सब कुछ दे दूँगी
पर आप श्री कृष्ण जी को कानधा कहां से दूँगी। थोड़े दिन बाद
बुढ्या माई मर गई। सब कोई उसको उठाने लगे
पर वे इतनी भारी हो गई कि उठे ही नहीं।
सब कोई कहने लगे पाप घाट की माला फेरती होगी जिससे इतनी
भारी हो गई है। भगवान बुढ़े ब्राह्मन का रूप धारन करके आये
सबसे पूछने लगे इतनी भीर क्यों है भाई।
सब बोले एक बुढ़िया मर गई है
पापनी थी इसलिए किसी से नहीं उठती। जब भगवान
बोले कि इनके कान में मुझे एक बात कहने दो
तो ये
उठजाएगी। सब ने कहा
कि तू भी मन की निकाल ले। भगवान ने जाकर उसके कान में कहा
बुढ़िया माई
तू बि
बुढ़िया माई अडवा ले गडवा ले पीतांबर की धोती ले मीथा मीथा
ग्रास ले बैकुंठ का वास ले चटके की चाल ले पटके की मोत ले
चंदन की काथ ले जहालर का जिनकार ले साइं
का राज ले दाल भात का जीमन ले किर्षन का
कंधा ले इतना सुनते ही बु�
पर न ध्यक्यों गयों Seeing
तो
प्रीय भक्तों,
इस प्रकार यहां पर
तुलसे जी की कथा समाप्त होती है
बोले तुलसी माता की जै!
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