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Shri Krishn Aur Kaliya Naag Ki Prasang

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Lời bài hát: Shri Krishn Aur Kaliya Naag Ki Prasang

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

भगवान ने काली नाग पर कृपा करें
तो गई यमना जल का पान किया मुर्चेत हो करके गिर गईं
भगवान ने अपने पीतांबर को लेकर कमर में बांध लिया
बात गऊँ माता के ऊपर आ गईं
काली अभी तक सारे अपराद तुमने किये हमने ध्यान नहीं दिया
लेकिन अब मेरी आराध्या गऊँ माता पर बात
आ गई है अब तुम्हे छोड़ा नहीं जाएगा
कदंब के जढ़ पर चड़े छलांग लगा दी हाराज और गए सीधे पहुंचे
काली नाग सो सो फन अत्यंत जहरीला नाग शयन कर रहा था
नाग पतनीयोंने भगवान को देखा और नाग
पतनीयां भगवान को देख कर के कहने लगी
अरे लाल तुम किसके लाल हो बेटा यहां क्यों आ गए
हूँ तुम जानते नहीं हमारे स्वामी के सुभाव को
यदि ये अभी जाग गए तु इसी समय तुम्हे निगल
जाएंगे तुम्हे खा लेंगे चले जाओ लोड जाओ
इतनी बात चली रही थी कि भगवान ने कहा
देवी हम आपके पती से ही मिलने के लिए आये
हैं काली पूरे सो फनों को ले कर के जाग गया
जीप लपलपाने �
याग नाग का गुरिया गुरिया तुटा है
पूद करके भगवान फनों के उपर आ गए
तांडवन रत्त को करते हुए
काली को यमना जल से बाहर ले कर निकले
इदर पूरे गूप,
गुआल आधी सब यमना के किनारे एकत्रित हो करके
महराज मय्या यशोदा भिहोस हो रही
नन्दवावाः चीख रहे
सब आपस में मैं कूदूं,
कि मैं कूदूं,
आपस में सब बाते कर रहे
बलराम जी ने सब को रोके रखा और उसी वीज में क्या देखा
कि यमना में काली देह की जगए जहांपर है
वहां से भगवान काली नागों को चरणों का अकर्षण करके बाहर ला रहे
और लाकर भगवान ने काली के मुंद पर तांडव करना शुरु कर दिया
अपने सोसों फनों से कुन की उल्टियां करने लगाया
और जब व्याकुल हो गया काली या नाग
तो समस्त नाग पत्नीयों ने मिलकर हाथ जोड़कर भगवान के सामने स्तुति करी
नाग परश्ठम ना सार्वभौमम
ना पारमेश्ठ्यम ना रसाधिपत्यम
ना योग सिध्धिर पुनर भवंबा वान्चन्तियत्पाद रजहः प्रपन्नः
नाग पत्नीयां कहने लगी की स्वामी आज हम धन्यों हो गये
यत पाद रजहृ प्रपन्नः
पर प्रश्च रही है और तुम कह रही हो हम दन्न हो गए,
कैसे दन्न हो गई?
तो नाग पत्णियां एक साथ हाथ जोड़ कर बोली कि,
स्वामी हमारे पती का भाग तो देखो,
वो राजा बली जिसने इतने यक्य किये,
इतने दान किये, इतने पुन किये,
इसके पश्चाद कहीं जब आप उसके द्वार पर पहुँचे,
तो उस राजा बली को इतनी तपश्या,
दान,
पुन,
यग करने के बाद आपका एक चरण प्राप्त हुआ,
हमारे स्वामी का भाग तो देखो,
आप दोनों चरण ले करके उनके मस्तक पर खड़े हुए हो,
इससे बड़ा सवभाग हमारा और क्या हो सकता है?
काली नाग ने भगवान के स्वरूप को पैचान करके भगवान से प्रुष्ण किया,
हमारे अंदर विझ Song किस् specify कि
चातrates स्वमध even गीवत क्षण किया ?
बगवान ने कहा हमनेarms विश किषी उद्दों Vish किस्दों apart से कभना?
आपने हमारे अंदर विश भरा,
आपने हमारे अंदर बदला लेने की भावना उत्पन करी,
तो आज हमको मारने के लिए क्यों आये हो?
विद्वान ऐसी भी व्याक्षा करते हैं महराज,
कि कली, काली, बाली, निकट, हारे, राम, सुजान,
कहा अचरज नित, हारे ही, भकतन सों भगवान।
पोले मानो भगवान तीन जगे पर हारे हैं,
कली, काली नाग के सामने,
बाली के सामने,
मैं बेरी सुगरीब पे आरा,
क्यों मुझे छिप करके मारा?
भगवान,
विद्वान कहते हैं कि मौन हो गये,
कली नाग ने पूछा कि हमारे अंदर विश भरा,
तो आज हमें मारने क्यों आये?
भगवान, मौन हो गये।
और राजा बली ने जब तीसरा चरण कह दिया कि मेरे मस्तक पर रग दो,
भगवान ने गरुल पास में बांद लिया था,
तो भगवान से पूछा,
जब मैंने आपके तीनों वचन फूरे करे हैं,
तो आपने मुझे गरुल पास में क्यों बांदा?
छोड़ो।
भगवान ने यहाँ काली नाग को कहा कि अधि हमने तुम्हे सर्प बनाया,
तुम्हारे अंदर विश भरा है,
तुम्हारे रहने के लिए योग्य,
सुन्दर इस्थान भी बनाया है,
तुम वहाँ पर जाकर रहो,
यहां यमना जल को क्यों दोश़त कर रहे हो,
आपका गरुल मुझे वहाँ रहने नहीं देता,
भगवान ने कहा,
मेरे चरणों के चिन्द तुम्हारे मस्तक पर बन गए हैं,
तुम्हें कोई डरने की आवश्चक्ता नहीं है,
मेरा गरुल तु
जाकर यमना जी को छोड़ कर अपने यतायोग इस्थान पर गया।

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