ĐĂNG NHẬP BẰNG MÃ QR Sử dụng ứng dụng NCT để quét mã QR Hướng dẫn quét mã
HOẶC Đăng nhập bằng mật khẩu
Vui lòng chọn “Xác nhận” trên ứng dụng NCT của bạn để hoàn thành việc đăng nhập
  • 1. Mở ứng dụng NCT
  • 2. Đăng nhập tài khoản NCT
  • 3. Chọn biểu tượng mã QR ở phía trên góc phải
  • 4. Tiến hành quét mã QR
Tiếp tục đăng nhập bằng mã QR
*Bạn đang ở web phiên bản desktop. Quay lại phiên bản dành cho mobilex

Shri Kashi Vishwanath Ki Katha

-

Đang Cập Nhật

Tự động chuyển bài
Vui lòng đăng nhập trước khi thêm vào playlist!
Thêm bài hát vào playlist thành công

Thêm bài hát này vào danh sách Playlist

Bài hát shri kashi vishwanath ki katha do ca sĩ thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat shri kashi vishwanath ki katha - ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Shri Kashi Vishwanath Ki Katha chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
Ca khúc Shri Kashi Vishwanath Ki Katha do ca sĩ Đang Cập Nhật thể hiện, thuộc thể loại Thể Loại Khác. Các bạn có thể nghe, download (tải nhạc) bài hát shri kashi vishwanath ki katha mp3, playlist/album, MV/Video shri kashi vishwanath ki katha miễn phí tại NhacCuaTui.com.

Lời bài hát: Shri Kashi Vishwanath Ki Katha

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

हम काशी विश्वनात की पावन कथा सुनाते हैं
हम काशी विश्वनात की पावन कथा सुनाते हैं
ज़ैहो नाथों के नाथ
काल को तालने वाले तेरी
जैहो विश्वनाथ
करे न मन यमराज तुम्हारी कभी न ताले बार
हटे नहीं मंदिर से तृष्टी एक बार जो ठहरी
तिकी हुई तृशूल के उपर काशी धाम की नगरी
चमतकार करते हैं नित-नित विश्वनाथ भगवान
अपने भगतों को देते हैं मन एक चावरदान
विश्वनाथ की कथा का भगतों अब हम करें बखान
हात जोड़कर महाप्रभू का करते हैं हम ध्यान
काशी के एक ब्रह्मन की हम बात बताते हैं
उसकी व्यथा सुनाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम घाथा गाते हैं
पौरानक ये कथा है भगतों रिशी मुनी बतलाते
विवाबाद शिव पारवती कैलाश गिरी पे रहते
एक दिन बोली पारवती मा सुनलो भोलेनाथ
सबी देव अपने घर में रहते पतनी के साथ
अपना कोई घर ही नहीं ये समझ ना आई बात
सोने की लंका लेकर रावर ने कर दी घाव
दूजी जगा के बारे में प्रभू अब तो करो विचार
अपना भी अब होना चाहिए प्यारा साघर द्वार
बहुत ही सुन्दर काशी नगरी शिव ये कहते हैं शिव गौरा से कहते
हैं काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाथा गाते हैं
विश्वनात भगवान को हो गए काशी के महराद
महादेव अपने भगतों की रखते सदाही लाद
काशी के एक भामवन की अब तुमको कथा सुनाएं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं
हम गाथा गाते हैं
जैहो नाथों की नाथ जैवाबा विश्वनात जैवाबा विश्वनात जैहो नाथों की नाथ
पति पतनी दोनों ही दुखी थे उनको नहीं ओलाग
उनको ये विश्वास तएक दिन सुनेंगे भोलेना
सूरे उदे से पहले वो गंगा के घाट पराता
करता था इसनान वो पंडित शिव का ध्यान लगाता
पागतों की कातार में सबसे पहले वो लग जाता
गंगा जल वो अर्पित करता शिव का ध्यान लगाता
विश्वनात नाथों के नाथ दो मुझे को तुम ओलाद
बहुत दुखी हूं बाबा मेरी सुन लो आफरियाद
बरसों से हम बाबा तेरे मंदिर आते हैं
जै अरज लगाते हैं काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाता गाते हैं
जै हो नाथों के नाथ जै बाबा विश्वनात
जै बाबा विश्वनात जै हो नाथों के नाथ
भरतो मेरी जोली भगवन ले लो मेरी खबरिया
मैं प्रामर निर्धन गरीब हूं कच मेरी जोपडिया
रूका सुका खाकर मैं तो अपना काम चलाऊं
घर में नहीं आलाद प्रभू तो मैं निराश हो जाऊं
रोरो के वो करे प्रातना शिव को रोज मनाऊं
नितनीयम से विश्वनात की पूजा करने आओं सोच रहे है शिव जी इस
पगले को क्या बतलाऊं इसके भाग में पुत्र नहीं कैसे इसको समझाऊं
भगतों का दुख भोले शंकर देख न पाते हैं दया उन पे बरसाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाथा गाते हैं
जैहो नाथों की नात जैवाबा
विश्वनात जैवाबा विश्वनात जैहो नाथों की नात
गंगा मा भी करे सिपारिश विन्ति सुनो भगवान
भक्त तुम्हारा बहुत दुखी है देदो इसे संता
परवती भी शिव से करे परिया ब्राम्मन आपका परम भक्त है देदो इसे आउला
एक दिन भोले नात्य को अपने भक्त पे दयाई
बोले शंकर विश्वनात ने महिमा दिखलाई
रात को जब ब्राम्मन सोया तो सपना उसे आया
गंगा घाट पर शिव शम्भूने दर्शन दिखलाया
उस ब्राम्मन को शिव शम्भू क्या वचन सुनाते हैं हम जो कथा सुनाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं
हम गाता गाते हैं
जैहो
नाथों की नाथ
जैहो नाथों की नाथ
क्या चाता है भक्त बताए पूछ रहे भगवान
जो मागेगा भक्त तुझे मैं देदूंगा वरदार
आप तो अन्तरयामी हों प्रभु जानते मन की बार
बस मैं आपसे ये ही चाहूँ देदो मुझे आउलार
उस भामन से बोले शिवजी कैसा बच्चा चाहे जादा उम्रवाला तु
या फिर कम्र उम्र का चाहे चक्कर में पड़ गया बुपंडित बात
समझ ना पाए उम्र का इसमें क्या चक्कर है प्रभु आप समझाएं
शिव अपने बहगतों को ऽारा बेद बताते हैं
मन की बात बताते हैं
काशी की पावन भूमि configure जिकाते हैं
हम गाथा गाते हैं
जै हो नाखों के नाढ
जै बाबा विश्वनाद,
जै हो नाथों के डाद
जै बाबा विश्वनाद,
जै हो नाथों के डाद
जै बाबा विश्वनाद, जै हो नाथों के डाद
पाँच बरस ही जी पाएगा,
जादा उम्र का बच्चा चोर डाकू कहलाएगा
पंडित बोला ठैरो प्रभू पतनी से पूछ के आऊँ,
थोड़ी देर मैं अपना फैसल आपको बतलाऊँ
दोड़ा दोड़ा पंडित फिर पतनी के पास में आए,
शिवशंकर की बात वो जाकर पतनी को बतलाए,
पाँच बरस का पच्चा देवी बुद्धिमान कहलाए,
लेकिन पाँच बरस बाद ही बच्चा वो मर जाए
कौन सब पच्चा लोगे समसे शिवजी पूछते हैं हम सब सोच न पाते हैं
काशी की पावन भूमी को शीश जुकाते हैं हम गाता गाते हैं
ज़ेहो ना थोकी नात, ज़ेहो ना
थोकी नात
पतनी बोली कम उम्र का बच्चा हम तो चाहें
शिवशंकर को बात हमारी जाकर आप बताएं
दोड़ा दोड़ा गया वो पंडित गंगा घाट पे आया
कम उम्र का बच्चा देदो शिवसे वो फर्माया
शिवजी बोले जा तेरे घर पुत्र जनम पाएगा
पाँच बरस के बाद वो तेरा बालक मर जाएगा
शिवशंकर ने उस भामन को ऐसा बच्चन दिया है
कुछ ही दिनों में पंडित गे घर पुत्र न जनम लिया है
आगे क्या होता है भगतों तुम्हें बताते हैं
किस्सा तुम्हें सुनाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाथा गाते हैं
जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ
जैहो नाथों की नाथ
जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ
जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ
जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ
जैहो नाथों की नाथ जैबाबा विश्वनाथ जैहो नाथ जैबाबा विश्वनाथ
प्रिक्षा लेते भगवान भक्त बताते हैं पावन कथा सुनाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं अम कथा सुनाते हैं
जैहो
नाथों की नाथ जैबाबा
विश्वनाथ जैबाबा विश्वनाथ जैहो नाथों की नाथ
मंदिर के रास्ते में बालक को खरा किया है
उस बालक को पंडित ने फिर ऐसा ज्यान दिया है
जो निकले रास्ते से चब के पाओं छूते जाना
धर्शन करने बालों से आशीष तुलेते जाना
थोड़ी देर में सफ्त रिशी उस रास्ते से जब
आये पाओं छूए उस बालक ने तो सफ्त रिशी फरमाए
बोले रिशी आय उश्मान भव लंभी उमर तुपाए
दोड़ के पंडित सम्मुक आया बात उने ये बताए
सफ्त रिशी तो भविश का सारा हाल जानते हैं फिर भी धोका खाते हैं
जैहोना थोके नाथ
जैबाबा विश्व नात
सब्त रिशी होते तुम इस बालक को न पहचाने
सुबह ये बालक मर जाएगा भेद आप न जाने
शिव ने दिया वरदान इसे ये पाच बरस जीएगा
शिव का सच्चा बचन इसे कोई काट नहीं पाएगा
पंडित की सुन बात सार सत्रिशी अब घबराए
अगर जो काटा शिव का बचन तो शिव जी रूत जाए
उस बालक को ब्रह्मा जी के पास में लेके जाए
सत्रिशी सोचे बालक से कैसे पीछा चुडाए
शिव जंकर के वच्णों को कोई काट नपाते हैं
रिशी अब तो घबराते हैं
काशी की पावन भूमी को शीश जुकाते हैं
हम गाथा गाते हैं
जैहूना थूकीनाद
जैवाबा विश्वनाद जैवाबा विश्वनाद जैहूना थूकीनाद
जैहूना थूकीनाद
बालक को लेकर हरी के पास
में आये
विश्वनू जी गहरी निंदरा में सोए थे बतलाये ब्रह्मा जी ने किया इशारा
बालक से फर्माये पाव चूओ विश्वनू जी के तुम शुब आशिष मिल जाये चूए पाव
बालक ने तो विश्वनू नीद से जागे आख खुली तो देखा बालक ख़ड�
आशिरवाद दिया हरी ने
लंभी उमर तुपाए ब्रह्मा जी फिर हात जोड़कर विश्वनू से फर्माये
शिव की लिला विश्वनू जी भी जान नपाते हैं दोका खाके जाते हैं
जैहो नाथों की नाथ, जैबाबा विश्वनाथ
ब्रह्मा बोले विश्वनू जी तुमने ये क्या कर डाला
शिव वरदानी ये बालक तो सुबह ही मरने वाला
शिव का है वरदान इसे कैसे काट सकोगे
महाप्रभू की मर्यादा को कैसे आप रखोगे
ब्रह्मा जी की बात सुनकर विश्वनू घबराए
उस नन्ने बालक को लेकर शिव के पास वो आए
बैठे थे कैलाश पर शिव करते थे तप और ध्यान
जाओ
बालक पाउ चूक कर शिव से लो वरदान
लंभी आयू हो बालक तिरी शिव जी कहते हैं आशिर्वात दे जाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गातां गाते हैं
जैहो नाथों के नाथ जैवाबा विश्वनाथ जैहो नाथों के नाथ
शिव जी को वरदान की आद दिलाएं
पाँच बरस की आयू भी तिर कैसे ये जी पाएं
अंतिम रात है इस बालक की कल तो ये मर जाएगा
पचन आपका महादेव कहीं जूता ही रह जाएगा
सब्त रिशीयों से बोले शिव आदिश मेरा निभाओ
उस बालक को विश्वनाथ मंदिर में लेकर जाओ
मेरे विश्वनाथ शिव लिंग पर बेल पत्र चड़वाओ
अपनी सारी चिंदाओं को जाकर वही मिटाओ
सब्त रिशी उस बालक से पूजा कर पाते हैं
शिव का ध्यान लगाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाता गाते हैं
पूजा बाद ही सुरे की पहली किरन भूमी पे च्छाए
उस बालक के प्रान हरने को यमराज भी आए
यमराज का रूप देखकर
बालक डर जाता है
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाता गाते हैं
बोले है यमराज प्रभु क्यों
आपने दर्स दिखाए
इस बालक के प्राण हरन हम तो कुद ही है आए
शिवशंकर यमराज से बोले सुनो ये बात बताए
ब्रह्मा जी के लेकन से तुम्हे ज्यान यही समझाए
मेरा एक दिन है करोण का बात तुम्हे ये बताए
इसी हिसाब से पाच बरस के दिन कितने बतलाए
शिवशंकर की बात भगतों यम के समझ ना आई
हम गाथा गाते हैं
जैवाबा विश्वराद
जैहो नाँखों के राज
नाम है इनका सुनलो भगतों मारकंडे भगवान
मृत्यू को परास्त किया है लिखे वेद पुरान
आपने ही महमृत्यू जैमंत्र का किया निर्मां
पीपल पत्ते में शिवने इनको दरश कराए
शिवशंकर की महिमा भगतों सप्त रिशी ने गाई काशी
विश्वनात की महिमा भगतों अपरंपार आओ काशी विश्वनात की
गोले जैजैका
बवसे मुक्ती पाते हैं जो काशी जाते हैं शिव का ध्यान लगाते हैं
काशी की पावन भूमी कोशीश जुकाते हैं हम गाथा गाते हैं
जैहो ना थुकी नाद जैबाबा विश्वनाद
जैहो ना थुकी नाद

Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...
Đang tải...