बोलिये जारवीर महराज की
जैहो
बोलिये गुरुगुर्खनात की
जैहो
सिरी जारवीर महराज
महराज
साधारन भगती है तेरी
सिरी जारवीर महराज
महराज
साधारन भगती है तेरी
सिरी जारवीर महराज महराज
साधारन भगती है तेरी
तेरो कड़ी बाज लगे भोग
राजी हो काटे सब के रोग
तेरो कड़ी बाज लगे भोग राजी हो काटे सब के रोग
कभी ना होते ना राज ना राज साधारन भगती है तेरी
सिरी
जारवीर महराज महराज साधारन भगती है तेरी
चंदन चूरा जो आन मले
चंदन चूरा जो आन मले
नकति को रख देता हाज यो ताज साधारन भगती है तेरी
जार
मेरे महराज महराज साथारण भकती है तेरी
गई
चातर
भेली
मेरा जी
भगतों के दुख में हो
साजी गई चातर भेली मेरा जी
ले पे आवे भाज ओ भाज साथारण भकती है तेरी
दिरे कमल सिंग कविताई से
तेरी पवन अटल सचाई से
सब बिगड सुधार काज ओ काज साथारण भकती है तेरी
सिरी जारवीर महराज महराज साथारण भकती है तेरी
सीरी जारवीर महराज
महराज साथारण भकती है तेरी
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