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Shree Sumatinath Amritwani

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Lời bài hát: Shree Sumatinath Amritwani

Nhạc sĩ: Traditional

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

प्रभु का सुम्रण नित करो
करो प्रभु का ध्यान
पंच परंपरमेश्थि को
बारंबार प्रणाम
सुमतिनात भगवान जी
दो सुमति का दान
चालिसा शुभ भाव से
पढ़ेंगे हो कल्यान
बोलो सुमतिनात भगवान की जैज़ेवन
अरिहंतों की शरण में आऊं
सुमति पा गुनगान को गाऊं
गुल की सागर कहनाते हो भक्तों को आपही भाते हो
शामे
लाली छाई
देख स्वापन माता हरशाई
मामंगला भर
खुशीया छाई गर्भ धार करवे हरशाई
पिता में घस्त होते
पुलकित
धीरे धीरे हो गए विकसित
प्रतनों से भी भरा आगना नहीं किसी से कुछ भी मांगना
जन्मों सव जब हुआ प्रभू का
बचा नहीं था दुख भी किसी का
पीन ज्यान संग लेकर आए
मतिशुत अवधी ज्यान को पाए
पांडुक शिला की महिमान्यारी
जन्मनवं की है तैयारी
सुर सुरेंद्र स्वर्गों से आए
कल्याणक कर वेहर शाये
धनुश तीन सो पाई काया
सुन्दर
रूप को लख हर शाया
वीस लाख पूरब की आयो
सुक्ह ही सुक्ह की
बहती वायो
इक दिन बैठे थे चिंतन में रहते थे
आतम मन्धन में
उर्ब भवों की आद जवाई फिर वेराज्य की जोती जगाई
लोकांत एक सुर भूपर आए
अनुमोधन वेराज्य बढ़ाए
भे पालकी में बैठाया
वन में जातम को ध्याया
अहाँ व्रतों की दीक्षा धारी
मूप्ती की करली तयारी
एक सहस्त राजा थी संग में
दीक्षाले संग चले थे पथल में
उन्म गती का
भाग्य जो जागा
प्रतम आहार का मौका लागा
पंच बृष्टी देवों ने कर दी
नहीं दरेत रज्जोलियां भर दी
सब के दुखडे दूर हैं करते
संकट सब के आप ही हरते
सुमती नात है ज्यान के धारी
प्रभो को मती को हरो हमारी
ज्यान नेक्र मुझे को मिल जावें
जो मुट्ती पत्राह दिखावें
सच्चे ज्यान बिना जग दुखिया
ज्यान आये तब होए सुखिया
अज्यानी त्रिश्णा में रोभें
अपना जीवन व्यर्त ही खोबें
ज्यान संसार बढ़ावें
सच्चा सुख खशण भर ना पावें
बूति की शोती प्रभो कर दो ज्यान ध्यान की बत्ती कर दो
कैसे
आप
बने हो भगवन
मुझे बना कर रखना चरन
आतम की गहराई रानो बात आपकी
बस में मानो
आरघातियां कर्म नशाये
केवल ज्यान जोती प्रगटाये
सम्वशरण सा महल बना था
भक्तों का भी संग घणा था
दीव्यधनी
उपदेश सुनाये
जीवों का कल्यान कराये
अमर नामो गण
धरबत लाये
अनंत मति गणनी पद पाये
सम्मेद शिखर मन भाया
अविचल कोट
सेध पद पाया
स्री सम्मेद पे जब भी जाओ
श्रधा से जा शीश जुकाओ
शुमती प्रभू की
दर्शन होंगे
कर्मों की
अपतरशर होंगे
कर्म नाश शिवपुर में जाये
सच आनन्द को पाजाये
शिवपुर में हो मेरा
वासा शुमती प्रभू से कही आशा
श्वपुर में हो मेरावासा
शुमतीप्रभू से कही आशा
भाव सहित चालीस दिन
पढ़ते जो भविमान
दुख दरीदर संकट मिटे
मिले प्रतम इस्थान
गुमतिनात जिनराज से
बिंते बारंबार
अब मेरा कल्यान हो
नमन करूँ शतबार

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