जै गणेश गिर्जासुवन् मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करें के जैनाथ निहाल।जै जै श्री शनि देव प्रभू सुनहु विने महाराज। करहु कृपाहे रवीतने राखहु जन की लाज।जै जै श्री श्री शनि देव देव देव प्रभू सुनहु विने महाराज। करहु कृपाहे रवीतने राखहु जन की लाज।परम विशाल मनोहर भाला तेड़ी दृष्टि बिकुटेवे कराला पुन्दल शवण चमाचम चमके ये माल मुक्तन मनिदमके करमे गदात्र शूल कुठारा पल बीच करे अरे संहारापिंगल कृष्णो छाया नन्दन्यम कुणस्त रोध्र दुख भन्जनसोरी मन्द शनी दशिनामा भानु पुत्र पुजही सब काम जापर प्रभु प्रसन्न है चाही रंक हुराव करे ख्यन माहीपरवत हूँ त्रण होई निहार रण हूँ पो परवत करडारराज मिलत बन राम हि दिन्यो के के यूं कीमति हर लिन्योबन हूँ में म्रग कपट दिखाई मादु जान की गई चुराईलख नहीं शक्ति विकल करे डारा मचिगा दल में हाहा कारारावण की गति मति बोराई राम चंद्र सो वैर बढ़ाईदियो केट करि कंचन लंका बजी बजी रंग वेर के डंकारप वेक्रम पर तुही बगुधारा जित्र मयूर ने गली गैहाराआर ना लखा लाग्यो चोरी हात पैर डरवाय तोरीभारी दशाने क्रेष्ट दिखायो तेली ही घर कोलो चल्वायोविनै राग दीपग महिकेन्यो तब प्रसन प्रभु हवे सुख देन्योहरिष्चंद्र निफनारि बिकानी आप हु भरी डोम घर पानीतैसे नल पर दशा सिराने मोझी मिन कूद गई पानीश्री शंकर ही गयो जब चाई पारवती को सती कराईतन कवे लोकत ही करे रे सपन भूडे गयो गौर सुत सीसापान्डव पर भैदशा तुम्हारे बचें त्रौपदी होती उगारेकारव के भेगती मतिमारियो युद्ध महां भारत करे डारियोरविकह मुख महं धर्तत काला लेकर कूदी परयो पाताताला शेष देव लख वेनति लाई रविको मुख ते दियो छुडाईवाहन प्रभु के साथ सजाना जग दे गज गर्दब म्रग स्वानाजम्बुक सिंह आदी नख धारी सोफल जोतिश कहत पुकारीरजवाहन लक्ष्मे ग्रह आवे हैते सुख संपति उपजावेकर धबहानी करें बहु काजा सिंह सिद्ध कर राज समाजाजम्बुक वो धीनश्ट कर डारे म्रग दे कष्ट प्राण संहारेजब आवही प्रभु स्वान सवारे शोरी आदी होई डर भारेतैसही चारी चरण एह नामा स्वर्ण लोह चान्री अरुतामालोह चरण पर जब प्रभु आवे धन जन संपति नस्ट करावेसमता ताम्र रजत शुबकारी स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारीजो यह शनी चरत्रन्त गावे कभुन दशने क्रेष्ट सतावेअर्बुत नाथ दिखावे लीला करेशत्रु के नशिवल ढीलाजो पंडित सुयोग्य बुलवाई विदिवत शनि ग्रह शांति कराईपीपल जल शनि दिवस चढ़ावत दीप दान देबो सुख पावतकहत राम सुन्दर प्रभुदासा शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशापाठ शनि शर्देव को की हो भक्त तैयारकरत पाठ चाले सुन्दे हो भवसागर पारपाठ शनि शर्देव को की हो भवसागर पार