एक भगत बाबा जोतराम के दर्वार में जाके बाबा से राधना करता कि मेरे बाबा आप सभी के घरों में दर्शन देते हो एक बार मेरे घर भी आना कैसे बाबा को बुलाता है आई एक भजन के माधिम से
आजागा आजागा शिरी जोतराम गोधारा तेरे घर आजागा
सर्दासे तु जोत जगाईए सांपिंद भोगल गॉइये आजागा
आजागा आजागा तेरे घर में भोग लगाजागा
आजागा
आजागा
आ जागा तेरे घर पे भोग लेगा जागा
आ जागा आ जागा सिरी जोतरा में गोधारा तेरे घर आ जागा
ओ सिरी जोतरा भगवाने की
ओज बना दे घर में सारी
गट जागी भाई तेरी बिमारी
आ जागा आ जागा तेरे तन के रोग मिटा जागा
आ जागा
आ जागा आ जागा सिरी जोतरा में गोधारा तेरे घर आ जागा
बन से करीए बाबा की भगती
शिरपै खेले गी तेरे सक्ती
आ जागा आ जागा तेरे शिरपै आ दिटी का जागा
आ जागा आ जागा तेरे सिरपै आ दिटी का जागा
आ जागा सिर्चो ते राह में गोतारा तेरे घर आ जागा
रमेस काकेड़ो दे क्यों गबरावे
आम करने तेन रस्त बतावे
काम करने तेन रस्त बतावे
आ जागा आ जागा तनसत के माट पड़ा जागा
आ जागा आ जागा तनसत के माट पड़ा जागा
आ जागा आ जागा सिर जो तेरा में गोतार तेरे घर आ जागा
आ जागा आ जागा सिर जो तेरा में गोतार तेरे घर आ जागा