मनो बुद्धाहंकार चित्तानिनाहं
नच श्रोत्र जिव्वे नच ग्राण नेत्रे
नच व्योम भूमेर नतेजो नवायु
चिदानन्द रूपः शिवोहं शिवोहं
चिदानन्द रूपः शिवोहं शिवोहं
चिदानन्द रूपः शिवोहं शिवोहं
असना जो मंगा चिदांनन्द
शिवोहम शिवोहम
नमेद्वेश रागो नमेलोग मोहो
मदो नैव मेनैव मातसर्यभाव
नधर्मो नचार्थो नकामो नमोक्ष चिदानन्दरूपः शिवोहम शिवोहम
नपुन्यम नपापम नसोक्यम नदुखम नमंत्रो नतीर्थम नवेदः नयज्या
आहं भोजनम नैव भोज्यम नभोक्ता चिदानन्दरूपः शिवोहम शिवोहम
चिदानन्दरूपः शिवोहम शिवोहम चिदानन्दरूपः शिवोहम शिवोहम
नमित्यूर् नशंका नमेजाति वेदः पितानैव मेनैव मातान जन्म
चिदानन्दरूपः शिवोहम शिवोहم झमासणीभ Monte
Sahadeva starts chanting the ever lasting prayer,
चिरानन्दु रूपः शिवोहम् शिवोहम्
अहम्मिल्विकल्पो निराकार रूपो
विभुत्वाच् सर्वत्र सर्वेंद्रियाण न चासंगतं
नएव मुक्तेरणमेय चिदानन्दु रूपः शिवोहम् शिवोहम्