तुम सुनलो बात हमारी हे शिवशंकर भंडारी
मत बुस्सा मोय दिलाओ
रोज रोज जखंगट हो बे तुम केरज अलग बनाओ
तुम सुनलो बात हमारी हे शिवशंकर भंडारी
तो माता भोलेनाज से कहनी लगी ए भंडारी
दुनिया के दुपदर्द देखके जम में घर पे आऊं
रोजाना लाला
गनेश की यही शिकायत पाऊं
हाहा यही शिकायत पाऊं भोले यही शिकायत पाऊं
धुनिया के दुपदर्द देखकए जम मैं घर पे आऊं
रोजाना लाला
गनेश की यही शिकायत पाऊं
पापा के सांपों से मममी नेर चूहे को बचबाओ
पूहे को बचबाओ
रोज रोज जहन्डट हो वे
तुम गेरिज अलग बनाओ
तुम गेरिज अलग बनाओ
तुम सुनलो बात हमारी
है शिमशंकर भंदारी
तो भोलेनाग कहने लगे माता से सुनो बारवती
रोज रोज के जखलें ते मैं भी उकताय कयो हूँ
साफ़ों को कार्तिक के मोर से कैसे बचाय नयो हूँ
हाँ हाँ कैसे बचाय रहो हूँ
रोज रोज के जखलें ते मैं भी उकताय कयो हूँ
साफ़ों को कार्तिक के मोर से कैसे बचाय रहो हूँ
अपनी अपनी कहो ओ मां तुम
पीना सुन पाओ रोज रोज जहंडट हो वैं तुम कैरिज अलग बनाओ
तुम कैरिज अलग बनाओ तुम सुनलो बात हमारी है शिमशंकर भंदारी
बोले बाबा कहने लगे पारवती अपनी अपनी कह रहे हो मेरी भी तो सुनो कच्चू
भोलो भालो मेरो
नांदिया काँज ते ना बोले
तब हूँ तो तेरो शेर भवानी जाकू खाए बेडोले
हाँ हाँ जाकू खाए बेडोले
हो भोलो भालो मेरो नांदिया काँज ते ना बोले
तब हूँ तो तेरो शेर भवानी जाकू खाए बेडोले
भरत कहें भोले को भवानी पैदल मती डुलाओ
रोज रोज जहन्डट हो वे तुम
गेरिज अलग बनाओ तुम गेरिज अलग बनाओ
तुम सुनलो बात हमारी है शिमसंकर भंदारी
ये दस्सा
हर आदमी के घर में घटित होती है
पर भोले नाग के घर में एक दूतरे के बैरी भरे पढ़े हैं
पूरे भजन ने सुना होगा अगर बंबबं लहरी बेशक पीते हैं गेहरी
अगर बंबबं लहरी बेशक पीते हैं गेहरी पर ध्यान चूक ना पाएए
शिवका चूक ध्यान तोभगधड कुन्वे में मच जाएए
भईया कुन्वे में मच जाएए भगधड कुन्वे में मच जाएए
तुम सुनलो बात हमारी
हे शिवशंकर भंडारी मत बुस्सा मोय दिलाओ
मत बुस्सा मोय दिलाओ रोज रोज जनडट होगे तुम गेहरिज अलग बनाओ
तुम सुनलो बात हमारी हे शिवशंकर भंडारी