शिवशंकर के नम का जदू
भौले का रूप है सबसे मासूर।
त्रिश्व उठाए बदलों के बार
महदेव है सबके संसार।
हर हर महदेव गुणगान करो
शिवशक्ति का जदू मेसूस करो
तमरू के धून पर नचो जड़ा भगवाशिवधी का नाम पुकारो
परवत के
चोटी पे बैठे गंगा की धारून के जाता में रहते
जद देता का घेरे है सात महकाल है जो बनाते रात। हर हर महदेव गुणगान करो
शिवशक्ति का जदू मेसूस करो तमरू के धून
पर नचो जड़ा भगवाशिवधी का नाम पुकारो
भस्मा का तिलक है माथे पे सज़िता
रूदरक्षा माला काती का लगता
शिवरातरी की रात है जगमाग जगमाग
भोले का दर्शन है मन में जगदा
हर हर महदेव गुणगान करो शिवशक्ति का जदू मेसूस करो
जगम रुखे धून पर नचो जड़ा भगवाशिवधी का नाम पुकारो