चंगू की एंहेल में शिव का जादू छाया
कुम्रू की तरह दिल की धड़कन लाया
धोल की तरह बजी मंतराओं की धुने
पक्ती में हैं रंगी ये राते
कुष्णुमा है हर हर महादे
कुझे ये सब जगा मन में प्यार भरे
शिव का साथ सदा
नंदियों की शोर में महा कल लाया
भस्म से सजधज कर प्रेम रस्मा
पिया जो तिल इनकी रोशनी दिल पे पड़ गया
पक्ती में खो गए प्रेम का रंग लिया
सिंदूर के रंग में मंतरा की धुने
महादेव के भक्त सब एक साथ है
शिव का साथ सब से सजधज कर प्रेम रस्मा
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