शीव शीव शीव शीव नाम पवीतर
बैठया देखे वो सब कबीतर
दुख सुख मैं परिसानिया
दुनिया वो मोन खड़या है
जहर न पी करे
माठी सब यड़े खाग गॉरी
रगडी तुन पे
राख गॉरी
है
तरे मननी दूपफिया त्याग कच्छाया धुनिया चोड समसान क्यूं बाया
हीरे खोपडी हात मठाये हात खाम क्यूं घर न बसाया
सुच्छी पेड की साक गौरी चड़कानी थोड़ा जाक गौरी
घर छोटे तन काची उमर में बड़े लाल तेरी आग गौरी
मैं बजूं से कालने दिन हबते हर साल में
बक्ती सक्ती लायुक्ती मिले मुक्ती की चाल में
युग युग चिड़ा स्वेरा दिक कोई न और मेरा दिक
खे क्या चांदुस मत्ये पै सार मनाया देरा दिक
नान जणा मुड़ा सी उगेल काट पंख में उड़ा सी उगेल
सब इच्छावण खतम होई भूल खुदने जुड़ा सी उगेल
बहना रेत जो भरी है
मुठी तू साचा या दुनिया जुठी
बाहर खडी मैं बोल कथकली एक बार तेरी न्याडी न यूठी
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