कि यह पर रायस्वी यग्ञ प्रारंभ होता है और इस सजन यज्ञ में शुष्पाल आया था जिसने महाराज ठाकुर
को गालियां देना प्रारंभ किया गालियों पर गालियां अरे चोर है अरे अरे महाराज इसने क्या-क्या नहीं
जुराया किसका पुत्र है यह भी नहीं पता कोई यसुदा नंदन कहता है कोई देव की नंदन कहता है अरे यह तो
दो बापन का है साहब यह दो बापन का है गालियों पर गालियां दे रहा था भीम दादा के माराज भीम दादा का
हरी इस्थिनिंदा सुन नहीं जो काना वह अपना उदासत स्माना जो हरिकी निण्दा संता है ना जो लुट खूफ लगता
है सबके सद्विक शिष्ठ तलवार लेकर खड़े हुए आप आज्ञा करें लेकर भगवान कहते हैं बोले पांडव आप अपने-अपने
अपने हत्यार को नीचे रख दो क्यों यह आपको गाली हमको भरे दरवार में दे रहा है बोले यह हमारा व्यक्तिकत
मैटर है आप रखिए जब समय आएगा तो आप लोगों को यह सत्र उठानी की आवश्यकता नहीं पड़ेगी मेरे पास खुद
यह सत्र है 99 गाली हुई तरंत जो है सावधान किया अरे सुस्पाल देख अब मत दी जो गाली यह चक्र सुदर्शन चलेगा
तेरी गर्दन काट देगा मैंने तेरी मां को वचन दिया था सौ गाली तक माफ करूंगा अब मत देना बात मान ले मेरी
कि चला जा तुम यहां से लेकिन सुस्पाल नहीं माना और जैसे ही सौभी गाली मुख से निकाली है चक्र सुदर्शन का
आवहान किया चक्र सुदर्शन भी आज पहली बार अपने वेग से कहीं सौगुना बेग में घूमने लगा और तरंत आक्या मिली
है वह चक्र सुदर्शन गया है गर्दन काटी वह जो मंड था सीधा नरक में जाकर गिरा प्रेम से बोलो आत्मा निकली है
थाकुर जी के चरणों में जाकर बिलेन हो गए इतनी तीप्र गति से चक्र सुदर्शन पहली बार घूमा था बोले क्यों
क्योंकि आज तक थाकुर को गाली देने वाला कोई नहीं हुआ था और शिष्पाल ने गालियां दीते हैं अ
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