अरे एक बुढ्धिया चले एक नारे
चलते चलते बत्डा मैं
सेरावाली के दरबार वो तो दर्शन करने जा मैं
बुढ्धिया कहती अपने मन की मालाज रखे भगतन की
सबका प्यार मिले एक सार वो तो दर्शन करने जा मैं
अरे एक बुढ्धिया चले एक नारे वो तो दर्शन करने जा मैं
अब सुनो नारे की बानी
दर में हो दुखी पराणी
वो
वेकती नहार सिंगार वो दर्शन करने जा मैं
अरे एक बुढ्धिया चले एक नारे वो तो दर्शन करने जा मैं
बुद्धिया बोले मुस्का के लिए
मनी को चैन करा और वो दर्शन करने जा तारे एक बुद्धिया चले
एक नार वो तो धर्शन करने जावें
कहनार याज का मेला करू छोड के घर का जमेला
देखू छोड चाड परिवार वो धर्शन करने जावें
आई एक बुढिया चले एक नार वो धर्शन करने जावें
सेरा वाली के दर्बार को धर्शन करने जावें
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