पैके तेरे मूरे मैं दलदा हाल सुनावांगे
तू सुनदर मैं तेरे लेए गीत गाओवांगे
एन नजम शायरी कीया मैं तैनू तेर तू मिलवावांगी
मैं आश्यानेच तेरे नादा कर बनावांगी
मैं अखा मीचां तां बैठा मेरे कोड तू होवे
जे खोलना बुरे ते बस तेरा सुकून होवे
तेरी बात मेरे दल पर भेख साब रही तू हैं जैसे गम की कोई बात नहीं
तू ना बास तो दिक्कटे बस काती रही दूँवावास मेरे पास तू होँ पाफी सही
मेरे रभों में तू भैता संगीर जैसे तू कमाल मेरा शैर जैसे
तू मेरे अंधेरों का चिला कोई मेरे सावन की हाँ पहली बर्था तू ही
तेरे आसास का होगा क्या हिसाब कोई तेरे आलावा क्या ही होगा यहाँ फास कोई
तू ही है जाना ना तेरे नहीं आबात कोई
मेरे अंगल में हाँ खिलता गुलाब तू ही
साजना वे तेरे वाज़ो मैनु ना दिखदा है
जाना मैं सच कहनी आ मैंनु तूफबदा जाहे
तूफबदा जाहे
किन कह रही सी मैं की
तू ही हर मौसम चो फना करते हो
एक कल दसो क्यों मजाग करते हो
तू ही जवें इतर तोड़ीया महकाच महक दी रवा
वो मेरे आखांच आखापा के कहना है जू नशा करते हो
तेरे नाल हुण मैं उम्रा जीनी आने बस इन्ना लिखते तू पाग गरीपादे
बस इन्ना लिखते तू साथ नसीपादे