शायद तेरी कमी या फिर मैं खो गया
बदली मेरी जिन्दगी अलफाज से हो ये ना अब ये बया
शायद तू थी रोशनी जो जलती नहीं मेरी ये रात
या फिर मैं सोया नहीं मेरी रातों की तरह डलते नहीं मेरे जजबा
तेरी बातों में मैं खो या रहता था
मेरी बातों में तुम खो ही रहती थी
तेरी खासा
मैं हो गया बेहार कि ये कहानी रह गई अदूरी
शायद तेरी कमी, शायद तेरा ही नशा
जो मैं हूँ रातों में जगा, तेरे बिना यहाँ कैसी अदूरी तास्ता
तेरी बातों में मैं खोया रहता हूँ
मेरी बाहों में तुम घोई रहते भी तेरे ख़या लो में
मैं हो गया बेहार कि ये कहानी रह गई अदूरी
तेरी बातों में मैं खोया रहता हूँ
तेरी बातों में मैं खोया रहता हूँ