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Shattila Ekadashi Vrat Katha

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Devesh Kundan

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Bài hát shattila ekadashi vrat katha do ca sĩ Devesh Kundan thuộc thể loại The Loai Khac. Tìm loi bai hat shattila ekadashi vrat katha - Devesh Kundan ngay trên Nhaccuatui. Nghe bài hát Shattila Ekadashi Vrat Katha chất lượng cao 320 kbps lossless miễn phí.
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Lời bài hát: Shattila Ekadashi Vrat Katha

Nhạc sĩ: Subhash Bose

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

जै श्री हरी भक्तों
आज मैं आपको अतिपावनी और वरदानी
शट्टिला एकादशी वरद की कथा
और उससे प्राप्त होने वाले फल के बारे में
इस कथा के माध्यम से बतानी जा रहा हूँ
इस वरद को करने से या इस कथा को सुनने मात्र से
कल्यान हो जाता है
बोलिये श्री हरी विष्टु भगवान की
हम शट्टिला एकादशी की सब को कथा सुनाते हैं
हम गाथा गाते हैं
इस वरद की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
पीन हिन इंसान की सब को व्यथा बताते हैं
हम गाथा गाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा या बड़ी महार चम सुबो लगाते जाया इस लगाते हैं मैं जाया मिले मुमा बावर बार
प्रिये भक्त जनों इस इकादशी के साथ एक अत्यंत प्राचीन कथा जुड़ी है आईए आपको वो कथा विस्तार पूर्वक सुनाते हैं जै श्री हरी
ताचीनकाल की बात है भक्तों तुम्हें सुनाता हूँ एक निर्धन आई हीर कदुख मैं तुम्हें बताता हूँ
वारानसी में रहता था उसका निर्धन परिवार जीवन गरीबी में था कटता वह था बड़ा लाचार
जंगल से वो लकड़ी काट के शहर ले आता था
बेच के उनको धन मिलता घर उससे चलाता था
जिस दिन लकड़ी ना बिकती वो भूखे सो जाते
देख के अपनी फूटी किसमत अकसर रो जाते
आगे फिर क्या होता है हम ये बतलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
इस वरत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रवणी महाला जब वोड़ा थे जान
इस कथा की है मैं चाला
प्रिये भक्तों अपनी परस्थिती से दुखी अहीर
हमेशा प्रभू से यही प्रार्थना करता है
कि हे प्रभू मुझे ऐसा कोई मार्ग दिखाओ
जिससे मुझे इस निर्धन्ता से मुक्ति मिल जाए
फिर क्या होता है आईए कथा के माध्यम से जानते हैं
जै श्री हरी
एक दिन लकडी लेके वो जंगल से आता है
लकडी उठा वो नगर सेट के घर पहुचाता है
उस दिन घर में चल रही थी
उतसवती तैयारी
शंकनाद हो रहा वहाँ था भीड बड़ी भारी
लकडी उतार के रख दे उसने सेट के आंगन में
ये कैसा उतसव है उसने सोचा निजमन में
खड़े खड़े कुछ देर वहीं से
दिष्ट देखता है
हात जोड फिर सेट से हर पर दिश्च पूछता है
जो बतलाया सेट ने उसको वो बतलाते है
पावन कथा सुनाते है
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते है
हम कथा सुनाते है
प्रिय भक्तों सेट के घर में भीड देखकर उसके मन में कौतुहल जाग उठता है
और जब वो सेट से इसका कारण पूछता है तो सेट क्या बतलाता है आगे इस कथा के माध्यम से जानते हैं जै श्री हरी
सुनके सेट अहीर की बातें वो मुस्काते हैं क्या है उत सव घर में उसको ये समझाते हैं
शटतिला एकादसी की घर में
हो रही तैयारी एकादसी के व्रत की उत्तम महिमा है न्यारी
जो भी करते इस व्रत को कट जाते उनके पाप
रोग शोक सब मिट जाते मिट जाते हैं संताप
जो करता व्रत भी धीपूर वक बाधा कटती है
मिलता उसे धन दाने और खुश हाले मिलती है
इसलिए हम एकादसी त्योहार मनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बनाते हैं
बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रहणी महारा जब शुदों लगाते जाओ
इस कथा की है महचारा मिले मुमा गावर गावर
प्रिये भक्तों
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बनाते हैं
व्रत की महिमा जानकर अहीर को लगता है
जैसे प्रभू ने उसके ही दुख से मुक्ती के लिए यह मार्ग दिखाया है
वह मन ही मन तै कर लेता है कि मुझे भी एकादशी का व्रत करना चाहिए
इसके बाद क्या होता है आईए कथा के माध्यम से सुनते हैं
जैसे प्रभू ने उसके ही दुख से मुक्ती के लिए यह मार्ग दिखाया है
विधिवत और यथा सक्ती सब पूजन करते हैं
सारी रात कर उपवास फिर भोजन करते हैं
कृपा हो गई उनके उपर हो गए वो धनवान
कुछ ही दिनों में सारे नगर में मिलने लग सम्मान
मिलने लग सम्मान
ऐसी पावन एकादशी कोशिश नवाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
आपको बिल्कुल करते हैं
प्रिय भक्तों आखिरकार अहीर को इस व्रत का फल मिल ही गया
सचमुच यह व्रत बहुत ही कल्यानकारी है
इस व्रत का फल मिलने में भले ही देर हो जाए
पर मिलता जरूर है आए इसकी महिमा का गुणगान करते है
शट तिला एका दसी का फल मिलने में ना हो देर
देर अगर हो जाए भी तो होती नहीं अनधेर
होती नहीं अनधेर
जिसने भी व्रत किया है उसने मनवान छित फल पाया
दुखतार इत्रिया संकट कोई पास नहीं है आया
एका दशी का व्रत करने से तास नहीं मिलता
अंत समय में धर्म राज का पास नहीं मिलता
श्री विश्नू जी की कृपा से मुक्ष धाम जाए
जन्म मरन के कष्टों से फिर मुक्ती मिल जाए
ऐसी उत्तम एका दशी की कथा सनाते हैं
पावन कथा सनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हमारी
आज बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रहडी महारा जब सुबो लगा के जार
इस कथा के एंडर जार मिल मूमा का मरदार

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