Nhạc sĩ: Subhash Bose
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जै श्री हरी भक्तों
आज मैं आपको अतिपावनी और वरदानी
शट्टिला एकादशी वरद की कथा
और उससे प्राप्त होने वाले फल के बारे में
इस कथा के माध्यम से बतानी जा रहा हूँ
इस वरद को करने से या इस कथा को सुनने मात्र से
कल्यान हो जाता है
बोलिये श्री हरी विष्टु भगवान की
हम शट्टिला एकादशी की सब को कथा सुनाते हैं
हम गाथा गाते हैं
इस वरद की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
पीन हिन इंसान की सब को व्यथा बताते हैं
हम गाथा गाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा या बड़ी महार चम सुबो लगाते जाया इस लगाते हैं मैं जाया मिले मुमा बावर बार
प्रिये भक्त जनों इस इकादशी के साथ एक अत्यंत प्राचीन कथा जुड़ी है आईए आपको वो कथा विस्तार पूर्वक सुनाते हैं जै श्री हरी
ताचीनकाल की बात है भक्तों तुम्हें सुनाता हूँ एक निर्धन आई हीर कदुख मैं तुम्हें बताता हूँ
वारानसी में रहता था उसका निर्धन परिवार जीवन गरीबी में था कटता वह था बड़ा लाचार
जंगल से वो लकड़ी काट के शहर ले आता था
बेच के उनको धन मिलता घर उससे चलाता था
जिस दिन लकड़ी ना बिकती वो भूखे सो जाते
देख के अपनी फूटी किसमत अकसर रो जाते
आगे फिर क्या होता है हम ये बतलाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
इस वरत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रवणी महाला जब वोड़ा थे जान
इस कथा की है मैं चाला
प्रिये भक्तों अपनी परस्थिती से दुखी अहीर
हमेशा प्रभू से यही प्रार्थना करता है
कि हे प्रभू मुझे ऐसा कोई मार्ग दिखाओ
जिससे मुझे इस निर्धन्ता से मुक्ति मिल जाए
फिर क्या होता है आईए कथा के माध्यम से जानते हैं
जै श्री हरी
एक दिन लकडी लेके वो जंगल से आता है
लकडी उठा वो नगर सेट के घर पहुचाता है
उस दिन घर में चल रही थी
उतसवती तैयारी
शंकनाद हो रहा वहाँ था भीड बड़ी भारी
लकडी उतार के रख दे उसने सेट के आंगन में
ये कैसा उतसव है उसने सोचा निजमन में
खड़े खड़े कुछ देर वहीं से
दिष्ट देखता है
हात जोड फिर सेट से हर पर दिश्च पूछता है
जो बतलाया सेट ने उसको वो बतलाते है
पावन कथा सुनाते है
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते है
हम कथा सुनाते है
प्रिय भक्तों सेट के घर में भीड देखकर उसके मन में कौतुहल जाग उठता है
और जब वो सेट से इसका कारण पूछता है तो सेट क्या बतलाता है आगे इस कथा के माध्यम से जानते हैं जै श्री हरी
सुनके सेट अहीर की बातें वो मुस्काते हैं क्या है उत सव घर में उसको ये समझाते हैं
शटतिला एकादसी की घर में
हो रही तैयारी एकादसी के व्रत की उत्तम महिमा है न्यारी
जो भी करते इस व्रत को कट जाते उनके पाप
रोग शोक सब मिट जाते मिट जाते हैं संताप
जो करता व्रत भी धीपूर वक बाधा कटती है
मिलता उसे धन दाने और खुश हाले मिलती है
इसलिए हम एकादसी त्योहार मनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बनाते हैं
बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रहणी महारा जब शुदों लगाते जाओ
इस कथा की है महचारा मिले मुमा गावर गावर
प्रिये भक्तों
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बनाते हैं
व्रत की महिमा जानकर अहीर को लगता है
जैसे प्रभू ने उसके ही दुख से मुक्ती के लिए यह मार्ग दिखाया है
वह मन ही मन तै कर लेता है कि मुझे भी एकादशी का व्रत करना चाहिए
इसके बाद क्या होता है आईए कथा के माध्यम से सुनते हैं
जैसे प्रभू ने उसके ही दुख से मुक्ती के लिए यह मार्ग दिखाया है
विधिवत और यथा सक्ती सब पूजन करते हैं
सारी रात कर उपवास फिर भोजन करते हैं
कृपा हो गई उनके उपर हो गए वो धनवान
कुछ ही दिनों में सारे नगर में मिलने लग सम्मान
मिलने लग सम्मान
ऐसी पावन एकादशी कोशिश नवाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हम आज बताते हैं
हम कथा सुनाते हैं
आपको बिल्कुल करते हैं
प्रिय भक्तों आखिरकार अहीर को इस व्रत का फल मिल ही गया
सचमुच यह व्रत बहुत ही कल्यानकारी है
इस व्रत का फल मिलने में भले ही देर हो जाए
पर मिलता जरूर है आए इसकी महिमा का गुणगान करते है
शट तिला एका दसी का फल मिलने में ना हो देर
देर अगर हो जाए भी तो होती नहीं अनधेर
होती नहीं अनधेर
जिसने भी व्रत किया है उसने मनवान छित फल पाया
दुखतार इत्रिया संकट कोई पास नहीं है आया
एका दशी का व्रत करने से तास नहीं मिलता
अंत समय में धर्म राज का पास नहीं मिलता
श्री विश्नू जी की कृपा से मुक्ष धाम जाए
जन्म मरन के कष्टों से फिर मुक्ती मिल जाए
ऐसी उत्तम एका दशी की कथा सनाते हैं
पावन कथा सनाते हैं
इस व्रत की क्या महिमा है हमारी
आज बताते हैं हम कथा सुनाते हैं
ये कथा रहडी महारा जब सुबो लगा के जार
इस कथा के एंडर जार मिल मूमा का मरदार