मैं शनीतेव हूँ, मैं सूर्य पुत्र हूँ,
मेरा रूप है रोतर क्रोध है,
भीशन बईया,
मेरी विकराल,
मेरी विकराल पर सन हो जिससे देदू राज हो रुष्ट करदू कंगाल
मेरी पक्र दिश्ट जब पढ़ जाये फिर नाकर गड़ते मानव
मेरी दिश्टी के पर कोप से कोई देव बचे ना दानव
मेने महादेव का ध्यान किया कई वर्सों तक आखंड
सार्हा भर जादये धरधर कापे गोध मेरा पर चणड
महाधा ही को ध्यागा आया सूरे देव कोंका मंद
मैंने बक्र कदिश्ट टुता हुंमके दे दवाच
galleryor लाामथा Fieldsça Ap heart
मैं सूर्य पुत्र हूँ,
मैं चाय पुत्र हूँ,
मैं शनी देव हूँ।
मैं महादेव का परम भक्त,
मुझे मिला उनसे आशीष,
सृष्टी परतिष्टी मेरी कहलाता नियाय तीस,
एक हाथ गदा दूचे में दनुस और तीजे में है बान,
मेरे नयाय चक्र से कोई जीव और चन्तूना अंजान,
मुझे भोग में काले तिल चड़ते और साथ में उर्द की ताल,
मुझे लोह धातू है अती प्रिया और तेल से करू सनान,
मैं शिंगनापूर का राजा और बहन मेरा काक,
मैं शनी देव हूँ, मैं सूर पतर हूँ,
मैं चाया पतर हूँ,
मशनिते वो
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