जिव्बो टिये जन्महले मुर्त्तु अनेरिबार्ज्यो।
मुर्त्तु को कैही खोजीबा न खोजीबा,
से इकेंदो खोजी खोजी जिवन पाखारे पहच जीजाए।
एइ ओपरे मोरो गिति कविता टिये लेखितिली,
जाको कि सरच चंड्रो मिष्रव,
मने सरत भायना बुलिचन्ती,
एबंग यह रियल भोयस्टुडियोरे,
गुरु निलामणी सारंका सहजो गरे,
से इती रेकोडिंग होई, आजी इूटूब कु जाओची,
से तपाई मौ मना बहुत खुशी,
एबंग मौ समस्तंग पाखे,
विश्विष्किरिषयी जगर्नात्वा पाखेरे,
संपुर्ण रूपे कुर्तक्यूं,
सेसरे
जदि सुत्ता बनांकरा आदरो पाईबो,
तो अले गितोटी सर्था कहेबो, धर्नवाद.
सेसरी गिता मोरा,
मना खोली बन्भु,
गाईबी मुष्टेही दिना,
जैउदी न तुमे,
खोजी खोजी मोते,
आशिवा मना कु मना,
सेसरी गिता मोरा,
मना खोली बन्भु,
गाईबी मुष्टेही दिना,
मिठा मिठा सुरे,
स्वागतो संगीतो,
गाऊधी भी तुमो पाई,
तुमो भी नाऊ,
सेदी न सेखीतो,
सुनि पारिवेनी केही,
लोटी पड़ी थीव, एदेहो सेवेडे, परिवेनी परिवेनी,
सुनि पारिवेनी केही,
लोटी
पड़ी थीव,
एदेहो सेवेडे,
सेखीतो,
सुनि पारिवेनी केही,
लोटी पड़ी थीव,
एदेहो सेवेडे,
भुले
जीवनाही
जानीची मुदिने,
पसलकासिवा भुपासे तुमे
सारा दुनिया कु पछख करिदेई
चालिजीवा दुहे आमे
दुलिजाई
तेवि भलपा उद्गेवा पछख करिदेई
चालिजीवा दुहे आमे
दुलिजाई तेवि
भलपा उद्गेवा पछख करिदेई चालिजीवा दुहे आमे
खितमोरो मनोकोलि बन्धु गाईवी मुष्टेही दिना
जेउदिन तुमे
खोजी मोते आशिवा मनोको मना
सेशगीतमोरो मनोकोलि बन्धु गाईवी मुष्टेही दिना
गाईवी मुष्टेही दिना