सीने में दिल ये जल रहा
जिन्दरी बढ़ी ये मुश्किल
कैसी खलिश में हूँ
मैं एक भवर में हूँ
वीरा सदल का है जहाँ
जहाँ भी मैं जाँग तुझ को ही पाऊं
क्यूं दुंदला सा है समाः सीने में दिल
ये जल रहा
जल जल के बुझता है ये दिल यार विनां
कील जीया चिंदरी बढ़ी ये मुश्किल
रातों को जागू मैं संग सितारों के दिल मेरा चला की कराँ
सपने सजा ले
दिलने सी तेरे जो खाब सी और सारे बेवफाँ
जागू मैं साथ पर जागू नहीं पाँछा लिया तुझ को ना पा सका
है इश्क की ये ही सजा सीने में दिल ये जल रहा
जल जल के बुझता है ये दिल यार विनां कील जीया
चिंदरी बढ़ी ये मुश्किल
हो
मुझ्किल नहीं है ये
कैसे भुलाऊं
मैं सिर बिन जीना बेवजा
आँखों की मेहफिल
में अश्क सजे से हैं मिली है मझे क्यूं ये सजा
खुद से खुद पूछता वो वफा न कर सका तूट के थचा बैपना
सीने में दिल ये जल रहा जल जल के बुझता है यी दिल
यार विनां कील जीया चिंदरी बढ़ी ये मुश्किल