मा दूरख प्यो बल दरद सहा
दू सवसव कर सीगार मिचार
मा दूरख प्यो बल दरद सहा
दू सवसव कर सीगार मिचार
साम्मजियंत आजी कुलबहार सोलंगी दे कलामला
सर्माशा मामुण्जीयूसप चुतोवें
अब्दूलगफूर् मंगनाराईं
घरेनवाज गजनवी सावजी
यो बक्त अब गुजृरी दूरिय में इलमाती मरे बजबूरिय में
असद सजे चारा मैन चका कम तेर न कर दिल दारंचा
सवसूरजिने तब मुझी दूमा सहाल हुची मन चारम चार
सोभेरातोवज मायोवा
तब जासनतोके पायोवा
हर बार कैमु इकरारी
आये कयो इन गारम चार
मा दूर खल्प्यो भल गर्द सहाँ वस्वकर सिगारम चार
इक अरज कया जे मुब मनी
करे कावर तून राज नथी
इक गैर पासे जार लगी मुझा करी कतरारम चार
मा दूर खल्प्यो भल गर्द सहाँ वस्वकर सिगारम चार
इक अरज कया जे मुब मनी करे कावर तून राज नथी इक गैर पासे जार लगी
मुझा करी कतरारम चार नवसूर दिनै तप मुझी जुआ विश्वाल हुती मनथारम चार
चाल बुधाया तोके मिठा
तोकावर कई पे दोखता
पे दोई थी प्यो मा की बुना
पर मा पक्खनी मनथारम चार बे दोई थी प्यो मा की बुना
पर मा पक्खनी मनथारम चार सवसूर दिनै
तप मुझी जुआ विश्वाल हुती मनथारम चार
गुल्बार गमन में गारे प्यो
गुल्बार गमन में गारे प्यो
शब रोज तराऊं निहारे प्यो
ये सोल गीतु के सूरन में ते तर्तो रहे बीमारम चार
मा दूर खाँप्यो भल दर्द सहाँ
जो समतर सीजारम चार सवसूर दिनै तप मुझी जुआ विश्वाल हुती मनथारम चार