Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650
बहुत से भक्तों की इच्छा है, प्रवचन कराऊँगा।
हिरलाल साहूर ने प्रवचन की मांग किया है।
इनको टाइम मिल गया।
इकीश, वाईस, देश, अप्रेल, सरहा, परोरा,
गाऊं में सट्संग कराऊँगे।
मिल गई तारीक।
सबके अंदर भाव जगना चाहिए। गुरू का आयोजन भी करूँ।
जिस गाऊं में आप पाँच भक्त हैं,
पाँचों मिल के आयोजन करूँ।
गाऊंवालों को जोड कर, सामिल कर के आयोजन करूँ।
और कोई बड़ा आयोजन है,
जैसे लकनों में आयोजन होना है,
तो लकनों,
सीतापुर,
हरदोई,
राइवलेली,
बारावंकी,
उन्नाओ,
इतने जिलों के भक्त जुड करके प्रोग्राम को।
कमसे कम जादा नहीं, पानसो भक्त लिकलोगे,
अगर उसमें पाँच,
पाँच हजार भी लगा दिया,
तो पचम,
पचीस,
कितना हुआ?
पानसो को पाँच हजार से गुणा करो।
पचीस लाक,
जोड लेना, चूकना नहीं।
क्या हुआ?
सही है?
पचीस लाक,
पचीस लाक तो प्रोग्राम में लगेगा ही नहीं,
प्रोग्राम हो जाएगा दस लाक बाद,
तो
कम-कम देता लगा तो।
ये सथसंग,
तन,
मन,
बुद्धी,
बाणी,
सब लगना चाहिए। गुरू का प्रचार,
प्रशार भी करो। दूसरों को भी जोडो। गुंगा भगत मत बनो।
बोलना सीखो।
गुरू का प्रवचन सुन्दे,
सुन्दे थोड़ा लोगों को समझाना भी शिको।
लोग तरक भी करेगा आपसे। लोग कहेगा अरे तुम कहाँ सद्वन चक्करम परी गयो।
सब इसे साद्वू होते हैं। तो तुम तुरंत क्या जबाब दोगें?
कि चक्कर से बचा कौन है?
हम गुरू के चक्कर में गुरू के चक्कर से
साड़े चक्कर खटम हो जाएंगे। इसलिए चक्कर��णू।
प्रस्ण में इतने जबाब देदो चुप। हाँ।
हमसे तो कोई प्रस्ण करते ही नहीं हैं।
क्योंकि पहले जान जाते हैं कि इजजट बचाओ चुप पे दूरिन हो।
एक बार सोला पत्रकार ने हमको घेरा,
सोला पत्रकार आये मद्धि प्रतेश में।
प्रस्ण शुरू हुई,
तो पाँची मिनट तो हम धीरी धीरी बोलें। लेकिन
जब ज़्यादा तरक करें तो हम शुरू करें तरक,
तो सोला मके त्यारा तो भाग गयें। तीन बचें तो वो कन्ठी
माला पहिर की शिष्च बनिगे। दुसरे साल पहुचें भगत लोग फि
कहीं इनसे हम बात ना करें बस। एक बार निपटि गाँ।
हादिल बतलात है।
तो उत्तर देना भी शीकों, समझाना भी शीकों।
कितना गाय ने लाथ मारा हो,
लेकिन दूध तो गधी का नहीं पीछ सकते,
न गाय का ही पीना पड़ेणा।
कितना फा Wellness पर लकना मोरा swatch discussions
तो अच्छा टमाटर अच्छा गुरू छाट लो
गुरूओं की भीड है गुरूओं का धेर लगा हुआ है
धगलो च्हे गुरुदेव का
तो उसको छाट लो
शारी अगर नहीं आपको पता था
जिन्द्गी सारी दुणिया LC,,
AWD C hose phaniोन इसे भारी हुई
भक्त का चुणाओंगुरू का सिणंपतनी का चुनंाोंग् पती का सिंफनों
नोकर का सिंफनों Manager का सिंफनों
तो जिनका चुनाव करेगे वोही तुमको चून
लेंगे। और चुनाव करने में अगर सावधान रहे,
तो फिर तुम जहां रोगे तुमारा भी चुनाव होता ही रहेगा,
और जीत होती रहेगी,
सफलता बिलती रहेगी।
इसलिए अच्छा गुरू ढूंढ लेजी।
अत्यंत कोपा कटुका चवाणी दरीद्रता जसोजने सुबेरम नीच परसंग कुलहीन शेवा।
जिनके एक भी आचरण अच्छे नहीं है, वो कुलहीन है।
जब इसके गुरण में नहीं हो।
तो उनसे रिष्ता जोड़ना चाहिए,
कुलीन घर होना चाहिए।
कुल हीन,
कुल माने टोटल होता है।
जिनके यहां टोटल सब हीन विचारधारा के हैं,
उनसे मजजोगाएं।
कुल हीन सेवा, कुल हीन की सेवा बतको।
कहते हैं,
जो कुल हीन की सेवा करता है,
नीचाचरण वालों की शंगत करता है,
अत्यंत क्रोध करता है,
कड़ूई बाणी बोलता है,
और भाईयों में बैर ठानता है,
और साथ में
अत्यंत कोपा, कटोखा, चबाणी, दरिद्रताव।
दरिद्री है,
संतोस भी नहीं है,
काम करता नहीं,
मेहनत करता नहीं,
उन्नती करता नहीं,
ऐसे लोगों के घर में जीते जी नर्क बन जाता है,
और वो जीवन भर दुख भोगते हैं।
इसलिए क्रोध को काबू कीजिए,
सथसंगी बनो,
पती की बिरुद्ध भी मत चलो,
पतनी को तंग भी मत करो,
अपने माता, पिता को कठोर मत बोलो,
बुणापे में हर वेक्ती बदसूरत हो जाता है,
जरजर अवस्था में हर वेक्ती भार लगने लगता है,
भार नहीं,
आप
उनकी शेवा करके अपना उद्धार कर सकते हैं,
भार नहीं है,
और एक दिन तुम्हारा सरीर भी जरजर होगा,
बुजरग होगा,
बुढ़ा होगा,
कमजोर होगा,
तो बदसूरत भी होगा,
बदसकल होगा,
बुद्धी भी फेल होगी,
नैन से दिखाई नह
है.
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