गाबो
गाबो
गाबो
गाबो
गाबो
गाबो
हरी नाम प्यारा
श्रीराधे श्याव
आज
हरिद्वार कथा के मध्य में व्रशिद्ध कनकल तीर्थ में
दक्ष मंदिर का दर्शन हम कर रहे हैं
कथा
श्रीमद भागवजी में भी और श्रीराम चरित
मानस जी में भी हम लोग श्रमन करते हैं
यह खनकल पॉरानिक इस्थल है
यहीं पर प्रजापती दक्ष ने
जो की स्वयम ब्रह्मा जी की नौमी संतान है
उन्होंने यहाँ ही यज्य किया था
जिस यज्य में
शंकर जी को इस्थान परदान नहीं किया था
और शिव अपमान के कारण सती जी ने यहीं दक्ष
प्रजापती के यज्य में अपनी देह का त्याग किया था
और यहीं सती मरत हरि सन वर मागा जन्म जन्म शिव पद अनुरागा
और अपनी लीला को अंतर ध्यान करते हुए यहीं सती मईया ने भगवान से
जन्म जन्म मुझको शिव की चरण सेवा प्राप्त हो ऐसा वरदान मागा था
तो सती जी ने अपनी देह का त्याग किया वही सती जी
फिर हिमाले राज के यहां पारवती जी के रूप में प्रगत हुईं
और जगद गुरु शंकर भगवान के चरण कमलों को प्राप्त किया
तो यह दक्ष का मंदिर हैं जहां दक्षिश्वर
शिव विराजमान हैं यग्यकुंड विराजमान हैं
समस्त देव विग्रह विराजमान हैं
और गंगा जी का पावन पुलिन हैं
एकदम मंदिर से लगकर गंगा जी भैती हैं बहुत सुरम में इस्थान हैं
तो भगवान शंकर को प्रणाम करते हैं जगदंबा सती जी
को प्रणाम करते हैं गंगा मय्या को प्रणाम करते हैं
और गोरी शंकर से श्री कृष्ण चरण कमलों
के निर्मल प्रेम की याचना करते हैं
कहिये सती शंकर भगवान की जे गंगा मय्या
की प्रेम से कहिये जै जै श्रीराधे
श्री गुरु प्रिमानन्दे निताई गऊर हरी विवान्दे
ये भगवत प्रेमीयों,
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