मेरो सन्देश हरी से जाय,
सणा देना
सब्दगुरु , मेरो संदेश हरी से जाय,
सुना देना
ओ सुनो लागे मन योदेस मुझे तेरे पास बुला लेना
मैं तो डूंड डूंड के हारी अब हार गई रे मुरारी
वो सत्व गुरु मेरो संदेश हैरी से चाय सुना देना
मोहे लागी
लगन है जनम से मेरी कर दो
लगन मोहन से
मोहे लागी लगन है जनम से मेरी कर दो लगन मोहन से
मोहे लागी लगन है जनम से मेरी कर दो
लगन मोहन से
गुरु छुडा के जगत का सांथ हरी का सांथ करा देना
पत्र लेकर
ब्राममण चले हैं
दुआरीका पोझे हैं
भगवान कृष्ण ने स्वागत किया चरन दुलाया
आसन दिया और फिर पूछा क्या बात है
तो ब्राममण ने वो पत्र रख दिया सामने उस पत्र को
पढ़ा तुरंत भगवान तयीयार हो गया दियान से सुनना
आज के पहले तक भगवान ने कभी सरीर पर सिला हुआ वस्तर नहीं
पहना जब तक मत्रावंदावन में रहे ना पेरों में पादुका पहने
पर आज
भगवान
ने सरंगार किया पहली बार मेकप असंतो सुनाते हैं
अब रत को बुलवाया और भगवान ने अपने प्रीय
गोडों को जुतवाया चार गोडे हैं भगवान के
सेब्य,
सुगरीव,
बलाहक और मेगपुष्प स्वयम रत की बागडोर समभाली ब्राम्मन को बिठाया
और जैसे ही चल दीये
ब्राम्मन ने पूछा इतनी जल्दी क्या है का नहीं है आपको
तो भगवान ने कहा आप पत्र लेकर आए ना वोले हां तो वो
आत्मा तो आपके लिए तडब रही है भगवान कहते हैं क्या
भगत जितना मुझे मेरे लिए तडबता है
उससे कई गुना मैं भगत के लिए तडबता हूं
क्यों कि नारत् जी ने आपकी कथं आऎ जा जा किया
तो भगवान ignored
ने कहा में भी प्रेम करता उप मिणी से लोगो है आप
क्ैसों करते है बड़ेकोा से मेरे कठन े शास सुना
trash डे yine charming Mes他是 took us childhood-ish
एक आत्मा प्रेम करती है पाना चाहती है
अब कोई नहीं है पुछने वाला चुकचाप निकल चलो दाव भईया काम से गए हैं
गुरूजी काम से गए हैं पर थोड़े से ही बड़े थे
ग crazy
चबीलो मेरो काना व्याहन जाय
मना नहीं किया रोका नहीं
पर तिरसी नजर से अपने सेनापतियों को
देखा मंत्रियों को युद्ध की तयारी करो
क्यों मेरा कनहिया कुंडिनपूर जा रहा है रुकमणी के स्वयंबर में
और वहाँ बड़बड़ी राक्षियस राजा हमारे सत्रू भी होंगे
एसा नहों कोई गडबड हो जाये और गडबड हो भी तो मेरे कनहिया
को पाउं पीछे नहीं हटाना पड़ें परवारी विवस्तद जमाओं
क्योंकि जहां कनहिया है वहां गडबड होना भी
पक्का है कि दावभाईया को पता था चाओ
पर चाने के पहले जब क्रिष्ण को उपर से लेके नीचे तक देखा तो
दावभाईया उद्धव जी गुरु गर्गाचार जी के आत्मा देखती रह गई परसंदता से
पूछ रही है कनहिया चाओ पर बता जा कि आज से पहले ये सरूप कहा था
रथ बढ़ाया
कुंडिनपर पहुचे रुकमणी ने लिग दिया था हमारे यहां नीयम है गोरी पूजन का
वहां से ले गए तो ठीक नहीं तो फिर नहीं ले जा पाएंगे
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