खोई बूरानी
खोई बूरानी
जब ससुरा में पिया घोरे जाई बूरानी
दिही कोड़ा ही पाका के रोजे खाई बूरानी
दिही कोड़ा ही पाका के रोजे खाई बूरानी
जाते कोले होबा यापन पियाबा के बोसमे
प्यार के रोसा भोड़ा दे होबा उनका नोसमे
बुजलो
हाँ जाई वो जैसे जिया पाक साझ समोर के
लेवे लागी पियाबा खाबार बरियामे भार के
हम छाहो के कामना ही कोई लेवानी
जब ससुरामे पिया घोरे जाई बूरानी
दिही कोड़ा ही पाका के रोजे खाई बूरानी
तो उसे ताहरा प्रोब्रम का बाद
खाई बूरानी
रातो दिन पूरा कोड़ा पियाबा के सापाना
चामत से खियाई है मड़ाई हाथे से उआपाना
एको बिर्जेको राबा में तुहारा के धारी
औही जोब नर्या तुहारा माने के पारी
अरे तो कहे दो हमाजी तुआके हात बहाँ धाई लेवानी
जब शसुरामे पिया घरे जाई बूरानी
दिही कराई पाका के रोजे खाई बूरानी
जब शसुरामे पिया घरे जाई बूरानी
दिही कराई पाका के रोजे खाई बूरानी