काजल
काजल तू हमरे के काहे भूल आगे
सुनने अगे तुझर सादी होती हूँ
काड बटाता
कही ससुराल जाके हमरे के भूल ता ना जेवू तु काजल
सगरोई सोर सुनाता सादी के काड बटाता लागाता हमसे
जानम अब तूरक जैबू नाता प्रेम के पगहाँ से एजान
तू ri
इक थम बुझे दिल बारती।
पगला ताटे मौन।
प्रेम के पगला से खुला जैवु का हो। साधी होते जान भुला जैवु का हो।
इज़ुदाई के दोरद न सहपाईव जान। दुर होके न तुहरा से रहपाईव जान।
हम न जीपाईव जान।
गम के आगी में
जान हो।
गम के आगी में जराजैव का हो।
साधी होते जान
भुला जैवु का हो।
सुनके खाबर ता हमरा दुख हूता बेसी
इतना प्यार न तोह के दिहे परदेशी
पुर
सोतम के दिल
जान हो
पुर सोतम के दिल दुखा जै भुका हो
प्रेम के पागः से खुला जै भुका हो
ससुरा जाके जान भुला जै भुका हो
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