सक्ही
एए सक्ही
गेटवा खोली है ना
क्या हुआ
बड़ी दूख है जी
मैं हूँ बड़े घ़री की बेटी
देता है सुखी रोठी
खाने लगी आनिबाला,
सासु का लालै
रहसन में,
रहसन में ,
رہसन में मार दी यह खाला सा सो का लाला
मे और को भूख बारे ढाला सा सो का ,
रहसन में मार दीये यह खाला सा सो का लाला
भोर में चालाता है सासों
देता है खाली भासों
बोले तो करवी बोले दोले सारा इंद्रासों
सोखी
जहरा पढ़ाले चसमां काला हो
सासु काला
जानती हो
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