सरकार के करम से सब काम चल रहे हैं
हम तो दर्गी नभी के तुकडों पे पल रहे हैं
सरकार के करम से
मांगे जो भीक उनसे रहता नहीं है खाली
हम जैसे खोटे सीके
सर आम चल रहे हैं
सरकार के करम से
पासे अदब है जिल को सरकार की जमी का
खाके मदीना अपनी
आँखों से मर रहे हैं
सरकार के करम से
तडबे ये दिल जो मेरा
मेरी रूम चल के बोले
अब तो बुला लो आका
आँसू निकर रहे हैं
सरकार के करम से
अब जो मदीने पहुचा
कहे दूगा मुस्तफा से
अब तो मदीने पहुचा
कहे दूगा मुस्तफा से
अदमोही में सुला लो
अर्मां मचल रहे हैं
सरकार के करम से
मैं क्या लिखूंगा राशित
उनके करम की बाते
मैं क्या लिखूंगा राशित
उनके करम की बाते
तैबा में जाके देखो
तैबा में जाके देखो
मनजर बदल रहे हैं
सरकार के करम से
सब काम चल रहे हैं
हम तो दर नभी की
तुकडों पे पर रहे हैं
सरकार के करम से
सब काम चल रहे हैं
सरकार के करम से
सब काम चल रहे हैं
सरकार के करम से